पिछले दो साल से भारत और ब्रिटेन के बीच आब्रजन और प्रत्यर्पण मामलों को लेकर संबंधों में खटास जारी है, ये बात दिन रात हिन्दू मुस्लिम करने वाली गोदी मीडिया देश की जनता को नहीं बताएगी, और साथ में ये भी नहीं बताएगी कि ब्रिटेन ने भारत डिपोर्ट करने के लिए 70,000 से 100,000 के बीच अवैध भारतियों को चिन्हित किया हुआ है। जिन्हे भारत आने देने के लिए मोदी सरकार आनाकानी कर रही है।

घुसपैठियों को बाहर करने और नागरिकता साबित करने के नाम पर CAA-NRC और NPR लादने वाली मोदी सरकार अपने ही देश के 100,000 के लगभग भारतियों को ब्रिटेन से भारत लाने से पीछे हट रही है। ये खुलासा किया है इंग्लैंड के The Telegraph UK ने।

भारत में गृह मंत्री CAA को संसद में पास कराकर दावा कर रहे हैं कि पडोसी देशों से भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को नागरिकता दी जाएगी वहीँ सरकार ब्रिटेन से लगभग 70,000 से 100,000 के बीच डिपोर्ट होने वाले अवैध भारतीय प्रवासियों को भारत आने देने के समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर करने के बाद भी मोदी सरकार उसे कार्यरूप देने से पीछे हट गई है।

दरअसल ब्रिटिश अधिकारियों के अनुसार ब्रिटेन ने कई वर्षों से भारत के साथ अवैध भारतीय प्रवासियों के मुद्दे को उठाया हुआ है, जिनकी संख्या 70,000 और 100,000 के बीच है, जो ब्रिटेन में किसी भी राष्ट्रीयता के हिसाब से बहुत बड़ी है।

इसी को लेकर जनवरी 2019 को भारत के गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने ब्रिटिश अधिकारियों के साथ ब्रिटेन में रह रहे अवैध भारतीय प्रवासियों की 30 दिनों के भीतर (अप्रेल 2019 तक) वापसी के लिए एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार तय हुआ था कि ब्रिटिश अधिकारी अवैध भारतीय प्रवासियों की पहचान करेंगे, भारत सरकार को सूचित करेंगे, जो बदले में एक महीने के अंदर इसे सत्यापित कर अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी के लिए प्रक्रिया को अप्रेल’ 2019 में शुरू करेगी।

मगर जब नरेंद्र मोदी लन्दन दौरे पर गए तो उन्होंने बड़े पैमाने पर हज़ारों लाखों लोगों के भारत वापस लौटने और इतने बड़े निर्वासन से पैदा होने वाली स्थिति की आशंकाओं के चलते ब्रिटेन के साथ सहमति ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।

दरअसल सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि इतनी बड़ी संख्या में डिपोर्ट किये गए भारतियों के वापस देश लौटने से अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो सकती जो CAA-NRC और NPR पर टूट पड़ी मोदी सरकार के लिए एक और बड़ा नया सरदर्द साबित हो सकती है।

ब्रिटेन का दावा है कि उनके देश में अवैध भारतीय प्रवासियों की संख्या 75,000 और 100,000 के बीच है, वहीँ भारतीय एजेंसियों का मानना है कि ये संख्या केवल 2,000 के लगभग ही है।

इस और बारीकी से देखें तो अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी के लिए ब्रिटेन के साथ किये गए सहमति ज्ञापन (MOU) और इंकार के साथ नीरव मोदी और विजय माल्या को प्रत्यर्पण करने का मामला और साथ में भारतीय छात्रों को आसान वीज़ा प्रदान नहीं किये जाने के मामले आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

Economic Times के अनुसार ब्रिटेन सरकार चाहती है कि नीरव मोदी और विजय माल्या के प्रत्यर्पण के साथ अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी पर भी मोदी सरकार सहमत हो जाए, यहाँ नरेंद्र मोदी ने उस अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी वाले सहमति ज्ञापन (MOU) पर ही हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया, तो उधर ब्रिटेन ने विजय माल्या और नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को लटका दिया।

नरेंद्र मोदी द्वारा अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी वाले सहमति ज्ञापन (MOU) पर ही हस्ताक्षर करने से इन्कार करने का एक और उलट परिणाम ये सामने आया है वो ये कि जून 2018 में ब्रिटेन सरकार ने वीजा आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाने वाली सूची से ब्रिटेन जाने वाले भारतीय स्टूडेंट्स को बाहर कर दिया था। पहले भारतीय छात्रों को आसान वीजा आवेदन प्रक्रिया वाली सूची में स्थान दिया गया था।

The Hindu Business Line के अनुसार ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री लियाम फॉक्स ने साफ कहा है कि यह कदम भारत से बदला लेने के लिए उठाया गया है। फॉक्स ने कहा कि इसी साल अप्रैल महीने में भारत ने उस करार पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, जिसके तहत यूके में रह रहे अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी सुनिश्चित करनी थी। इसी कारण ब्रिटेन ने भारत को छात्रों के लिए आसान वीजा आवेदन प्रक्रिया सूची से बाहर कर दिया है।

कुल मिलकर अब मामला ये है कि भारत सरकार को नीरव मोदी और विजय माल्या तभी मिल पाएंगे जब भारत सरकार ब्रिटेन से 100,000 के लगभग अवैध भारतीय प्रवासियों को भारत आने के लिए मंज़ूरी देगी और भारतीय स्टूडेंट्स को आसान वीजा आवेदन प्रक्रिया सूची में फिर से स्थान मिल पायेगा।

देश से अवैध प्रवासियों और घुसपैठियों को बाहर करने के लिए CAA-NRC और NPR जैसे क़ानून लादने करने वाली मोदी सरकार के लिए ये बड़ी ही असमंजस की स्थिति है कि जब ब्रिटेन खुद अपने देश से 75,000 और 100,000 के लगभग अवैध भारतीय प्रवासियों और भारतीय घुसपैठियों को वापस भारत भेज रहा है तो नरेंद्र मोदी आनाकानी कर रहे हैं।

ये लगभग तय हो चुका है कि नीरव मोदी और विजय माल्या जब ब्रिटेन से भारत लाये जाएंगे तो अपने साथ 100,000 के लगभग अवैध भारतीय प्रवासियों को भी लेकर आएंगे। या फिर दोनों ललित मोदी के साथ लंदन में ही मौज करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.