महाराष्ट्र में हुए PMC बैंक घोटाले के बाद उसके लाखों ग्राहकों का पैसा एक तरह से RBI द्वारा फ्रीज़ कर दिया गया है, पहले 6 महीने में दस हज़ार सीमा थी जो बढाकर 40,000 कर दी गयी है, मगर इसके बाद भी कई ग्राहक अधिक पैसों की आवश्यकता होने पर नहीं मिलने के कारण ज़िन्दगी से हाथ धो चुके हैं।

PMC बैंक घोटाले के बाद बैंकों में जमा ग्राहकों की राशि पर उनके अधिकार को लेकर फिर से भ्रम और चर्चाएं फ़ैल रही हैं, भारत में किसी बैंक के दिवालिया होने के बाद बैंकों में जमा रकम पर ग्राहकों को अधिकतम 1 लाख रुपए (लगभग 1,508 डॉलर) का बीमा मिलता है, भले ही किसी के एक करोड़ रूपये जमा हों, ये 1 लाख रुपए जिसे बीमा कवर कह सकते हैं दुनिया में सबसे कम है।

Times of India के अनुसार बीमे का ये मानक दुनिया के अधिकतर देशों में मिलने वाले बीमे के मुकाबले काफी कम है, भारत की बैंकों के 1 लाख के बीमा कवर के मुक़ाबले BRICS देशों जैसे ब्राज़ील और रूस में ये बीमा कवर क्रमशः 42 लाख और 12 लाख है।

Times of India की एक Report के अनुसार विश्व के देशों में इस तरह के बीमा कवर की राशि निम्न प्रकार से है :-

Russia : बैंकों की जमा पर 13.6 लाख रुपए का बीमा कवर –

Brazil : बैंकों की जमा पर 45.36 लाख रुपए बीमा कवर –

Japan : बैंकों की जमा पर 62.9 लाख रुपए बीमा कवर –

France : बैंकों की जमा पर 77.1 लाख रुपए बीमा कवर –
(जर्मनी और इटली में भी यह कवर लगभग इतना ही है)

Britain : बैंकों की जमा पर 78.7 लाख रुपए बीमा कवर –

Australia : बैंकों की जमा पर 1.3 करोड़ रुपए बीमा कवर –

America : बैंकों की जमा पर 1.77 करोड़ रुपए बीमा कवर –

वहीँ Bloomberg की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में 57.3 लाख रुपए तक का बीमा कवर मिलता है।

इस मामले में भारत एशिया देशों से भी पीछे है, फीलीपींस में जहाँ बैंक जमा पर 67.3 लाख रुपए का बीमा कवर है, वहीँ थाईलैंड में ये बीमा कवर 1.13 करोड़ रुपए है।

यदि बीमा कवर को प्रति व्यक्ति आय के स्तर से देखा जाए तो ये भारत में प्रति व्यक्ति आय के मुकाबले 70 % है। रूस में यह प्रति व्यक्ति आय के मुकाबले 2.2 गुना है। ब्राजील में यह 7.4 गुना, कनाडा में 1.7 गुना, जापान में 2.3 गुना, फ्रांस में तीन गुना, जर्मनी में 2.6 गुना, इटली में 3.6 गुना, ब्रिटेन में 2.8 गुना, ऑस्ट्रेलिया में गुना और अमेरिका में 4.4 गुना है।

वहीँ Business Standard ने खबर दी है कि सरकार जमा पर गारंटी की सीमा को एक लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये तक कर सकती है। इस बारे में सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में संशोधित फाइनेंशियल रेजॉल्यूशन डिपॉजिटरी इंश्योरेंस (FRDI) बिल ला सकती है। भारत में इस समय डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी (DICGC) के तहत बैंक खाते में जमा ग्राहक की रकम का अधिकतम एक लाख रुपये का ही बीमा करता है। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों रकम शामिल है। किसी वजह से बैंक का कामकाज बंद होने या दिवालिया होने पर जमाकर्ता को बीमा कंपनी इस रकम का भुगतान करती है।

फाइनेंशियल रेजॉल्यूशन डिपॉजिटरी इंश्योरेंस (FRDI) के तहत डिपॉजिट बीमा कवर 1993 में Rs 30,000 से बढाकर 1 लाख किया गया था। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी (DICGC) RBI की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, यह जमा के लिए बीमा कवर प्रदान करती है और बैंकों को इसके लिए प्रीमियम का भुगतान करना आवश्यक है।

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