AMU के PhD स्कॉलर रहे गुलज़ार अहमद वानी को 16 साल में रखने के बाद बा-इज़्ज़त बरी किया गया तब 25 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बिना जमानत के 16 साल से अधिक समय तक वानी की हिरासत को “शर्म” करार दिया था।

AMU के अरबी विभाग में PhD कर रहे उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के टप्पर पट्टन निवासी गुलजार अहमद वानी को साबरमती एक्सप्रेस ब्लास्ट केस का आरोपी बताकर 31 जुलाई, 2001 को नई दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था और मामले में एक आरोपी के रूप में नामित किया गया था और साथ ही इसी ब्लास्ट मामले में अब्दुल मुबीन को सह आरोपी बनाया गया था।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की एक अदालत ने मई 2017 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व शोधार्थी और संदिग्ध हिजबुल मुजाहिदीन के कथित सदस्य गुलजार अहमद वानी को शनिवार को 2000 के साबरमती एक्सप्रेस विस्फोट मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि केवल सिमी सदस्यों के रूप में चित्रित करने के आधार पर पुलिस ने साबरमती एक्सप्रेस विस्फोट में दो लोगों पर आरोप थोप दिए थे।

गुलजार अहमद वानी जो AMU के अरबी विभाग में पीएचडी कर रहा थे, को 31 जुलाई 2001 को जब नई दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था और मामले में एक आरोपी के रूप में नामित किया गया था तब वो 28 साल के थे।

एक कश्मीरी होने की वजह से गुलजार अहमद वानी पर विस्फोटों के 10 और मामलों में साजिशकर्ता होने का भी आरोप लगाया गया था और 2000 से पहले दिल्ली, महाराष्ट्र और यूपी के विभिन्न पुलिस थानों में 14 FIRs दर्ज की गई थीं। लेकिन उन्हें सभी मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया था।

तब उनपर केवल के केस बाक़ी रह गया था, मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वानी की जमानत का विरोध करने वाले उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से कहा था कि “उसे 11 में से 10 मामलों में बरी कर दिया गया है, लेकिन फिर भी आप चाहते हैं कि वह बिना जमानत के जेल में रहे।” शीर्ष अदालत ने सुनवाई अधूरी रहने पर भी उनकी रिहाई के लिए नवंबर में तारीख तय की थी।

उसके खिलाफ 11 मामलों में, वानी को दिल्ली में विस्फोट करने के लिए कथित रूप से विस्फोटक ले जाने के लिए 10 साल की सजा सुनाई गई थी। लेकिन, वानी के वकील प्रभात सिंह ने बताया था कि उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया था और सभी मामलों में बरी होने से पहले यह किसी व्यक्ति के लिए ये सबसे लंबी जेल की सजा थी।

उनके खिलाफ एकमात्र लंबित मामला साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन विस्फोट का मामला था।

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