देश में CAA-NRC के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच कर्नाटक अवैध अप्रवासियों के लिए अपना पहला डिटेंशन सेंटर जनवरी’ 20 में शुरू करने जा रहा है।

Times Of India में प्रकाशित खबर के अनुसार अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) अमर कुमार पांडे ने कहा, “डिटेंशन सेंटर के लिए क्लीयरेंस और मंजूरी दे दी गई है और यह जनवरी में चालू हो जाएगा।”

केंद्र सरकार ने NRC और नागरिकता संशोधन (CAA) बिल पेश करने से पहले सभी राज्यों में डिटेंशन सेंटर्स स्थापित करने की योजना बनाई थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2024 तक देश भर में NRC शुरू करने की योजना की घोषण की थी।

राज्य के गृह विभाग के अधिकारियों ने कहा कि बेंगलुरु शहर से लगभग 40 किमी दूर नेलामंगला में स्थित इस नए डिटेंशन सेंटर में उन अप्रवासियों को रखा जायेगा जो या तो अवैध रूप से रह रहे हैं या घुसपैठ कर आये हैं। उन्हें इस डिटेंशन सेंटर में तब तक रखा जाएगा जब तक उन्हें उनके संबंधित देशों में नहीं भेज दिया जाता।

राज्य सरकार ने समाज कल्याण विभाग से संबंधित एक छात्रावास की इमारत को खाली कर उसे डिटेंशन सेंटर में परिवर्तित कर दिया गया है। सामाजिक कल्याण विभाग के आयुक्त आरएस पेदप्पैया ने कहा कि वर्तमान में इस डिटेंशन सेंटर में 24 लोगों को रखने के लिए तीन शयनगृह हैं। इस डिटेंशन सेंटर के लिए दो नए वॉच टॉवर भी बनाये गए हैं।

विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (FRRO), लाभू राम ने कहा कि लगभग 750 संदिग्ध विदेशी नागरिक हैं जो वर्तमान में कर्नाटक में अवैध रूप से ओवरस्टाईंग कर रहे हैं और उन सभी को इस नए डिटेंशन सेंटर में भेजा जा सकता है।

बढ़ती दहशत :

डिटेंशन सेंटर की खबर के बाद विभिन्न समुदायों के बीच, मुख्य रूप से अल्पसंख्यकों में दहशत पैदा हो गई है, हालांकि राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने हाल ही में स्पष्ट किया था कि सरकार NRC लागू करने के की प्रक्रिया धीमी गति से चलाना चाहती है, कई समुदाय इसे एक अशुभ संकेत के रूप में देख रहे हैं। बेंगलुरु शहर में बंगालियों, कश्मीरियों और पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की एक बड़ी संख्या है। विभिन्न समुदायों के सामुदायिक संगठन अब लोगों को NRC की तैयारी में ज़रूरी दस्तावेज़ों आदि के लिए मदद कर रहे हैं।

पंजाबी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार बेसिन ने कहा, “हम अपने समुदाय के सदस्यों के लिए आधार, पैन और जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज प्राप्त करने के लिए पंजीकरण शिविर आयोजित कर रहे हैं।” “हम लोगों को परिवार की वंशावली (Family Tree) को तैयार करने और उन्हें सिखाने के लिए डोमेन विशेषज्ञों की मदद भी ले रहे हैं।” उन्होंने कहा, यह उनके लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि कई लोग विभाजन के दौरान पाकिस्तान से चले गए थे।”

कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड (KSBW) भी मुसलमानों को आवश्यक दस्तावेज बनवाने में मदद कर रहा है। मोहल्ले की मस्जिदें भी अक्सर लोगों से अपने दस्तावेजों को बनवाने और तैयार रखने की अपीलें कर रही हैं।

(फोटो NDTV से साभार)

Leave a Reply

Your email address will not be published.