कल लखनऊ के डालीगंज में भगवा पहने गुंडों द्वारा ड्राई फ्रूट बेचने वाले दो कश्मीरियों के साथ गाली गलौच करते हुए मारपीट की तो वहां पुल पर काफी भीड़ थी, मगर एक आदमी को छोड़कर किसी ने भी उन गुंडों को टोकने या रोकने की कोशिश या कहिये कि हिम्मत नहीं की, उन गुंडों को अकेले रोकने वाले का नाम है  Zafar Rizvi

जिसने भी लखनऊ का वो वीडियो देखा है वो समझ सकते हैं कि उन गुंडों से ज़फर रिज़वी किस तरह अकेले ही भिड़ गए थे, उनसे मारपीट की वजह पूछी और उन्हें रोककर कश्मीरियों के परिचय पत्र उन गुंडों को दिखवाए, उन्होंने उन गुंडों की कोशिश को पूरी तरह से कामयाब नहीं होने दिया, ज़फर रिज़वी न होते तो उन गरीब कश्मीरियों का न जाने क्या हाल होता।

अपनी तारीफ पर ज़फर रिज़वी ने एक बेहतरीन और क़ाबिले तवज्जो बात कही है कि ” Hero बनाइये मत, Hero बनिये, तब कुछ बदलेगा।”

खबर है कि लखनऊ मामले में यूपी पुलिस ने चारों आरोपी गुंडों को गिरफ्तार कर लिया है।

देश में जारी प्रायोजित सांप्रदायिक उन्माद के बीच जब ऐसी मिसालें सामने आती हैं तो इंसानियत और हमें विरासत में मिले हिंदुस्तान की उस तहज़ीब पर फिर से भरोसा होने लगता है जो इन दिनों हाशिये पर धकेली जा रही है।

आज फिर से उत्तराखंड पुलिस के वो सब-इंस्पेक्टर गगनदीप सिंह भी याद आ गए जिन्होंने मई ‘2018 में ऐसे ही भगवा गुंडों से मुस्लिम युवक को मॉब लिंचिंग का शिकार होने से बचाया था।

ज़फर रिज़वी और सब-इंस्पेक्टर गगनदीप सिंह और उन जैसे जियाले लोग ही हमारे लिए असली हीरो हैं, इंसानियत के पैरोकार हैं, ऐसे लोग जब तक इस देश में मौजूद हैं कोई भी कुटिल ताक़तें हम भारतियों को विभाजित नहीं कर सकतीं, सत्ताएं तो आनी जानी हैं, ये सामाजिक समरसता और सद्भाव ही टिकाऊ है, जो हमें विरासत में मिला है और जिसे हम बेहतर हिंदुस्तान के लिए अपनी नेक्स्ट जेनेरशन को सौंपेंगे।

भाई ज़फर रिज़वी और गगनदीप सिंह जैसे जियाले लोगों के लिए तारीफ के लफ्ज़ भी कम हैं, इनके इस हौंसले और जज़्बे को दिल से लाखों सलाम।

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