ताज नगरी आगरा में दशकों से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल चली आ रही है, जहाँ रमजान में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई मिलकर इबादत के लिए एक दूसरे का हाथ बंटाते हैं, वुज़ू के लिए पानी का इंतज़ाम चर्च द्वारा किया जाता है और हिन्दू और सिख भाई अपनी दुकानें वक़्त से पहले बंद कर नमाज़ियों के लिए फर्श बिछाते हैं।
नफरत की गर्म हवा में ऐसा कुछ सुनकर दिल को सुकून मिलता है कि देश में, लोगों में आज भी कहीं भारतीयता की भावना ज़िंदा है, परस्पर सद्भाव की ये मिसाल आगरा के हॉस्पिटल रोड स्थित हज़रत सय्यद अब्दुल्ला सईद की इमली वाली मस्जिद पर पर देखने को मिलती है जहाँ हर रमज़ान में पांच दिवसीय तरावीह की नमाज़ होती है, और इसकी तैयारी हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई मिलकर करते हैं।
तरावीह की ये नमाज़ सेंट जॉर्ज चर्च कंपाउंड के बाहर सड़क पर होती है, इसके लिए उस इलाक़े के सभी हिन्दू, सिख, ईसाई दुकानदार अपनी दुकानें 10 के बजाय 8 बजे ही बंद कर देते हैं, और सब मिलकर उस सड़क की सफाई करते हैं जहाँ नमाज़ होनी होती है, सफाई के बाद सब दुकानदार मिलकर फर्श आदि बिछाते हैं। वुज़ू के लिए पानी का इंतज़ाम चर्च द्वारा किया जाता है और नमाज़ियों की सुरक्षा और देखभाल की ज़िम्मेदारी स्थानीय दुकानदार करते हैं।
यहां मुस्लिम ज़्यादा नहीं हैं आस पास के लोग यहाँ तरावीह पढ़ने आते हैं, यहां मौलवियों द्वारा पांच दिन में पूरी कुरान पढ़ाई जाती है।यह इलाक़ा शहर के मुख्य और व्यस्ततम बाजारों में से एक है।
आयोजनकर्ता शमी बताते हैं कि परस्पर सद्भाव की ये परंपरा आजादी के समय से ही चली आ रही है, यहां हर रमजान के महीने में तरावीह पढ़ने के लिए मुस्लिम समाज के लोग भारी तादाद में आते हैं। दशकों से यहां हर रमजान हिंदू सिख ईसाई समाज के दुकानदार खुद अपनी दुकानें बंदकर नमाज की तैयारियां करवाते हैं और सेंट जोन्स चर्च के कंपाउंड में ईसाई समाज द्वारा पानी की व्यवस्था की जाती है, ताकि नमाज पढ़ने आए नमाजी नमाज से पहले चर्च कंपाउंड में वुज़ू कर सकें।
बाजार कमेटी के अध्यक्ष विजय सहगल बताते हैं कि मार्केट के दुकानदार अपनी दुकानें मुस्लिम भाइयों की नमाज़ के लिए जल्दी बंद कर देते हैं और उसके बाद उनकी तरावीह के लिए इंतज़ाम करते हैं, वो कहते हैं कि हम यही सन्देश देना चाहते हैं कि ताज मोहब्बत की नगरी है यहाँ नफरत के लिए कोई जगह नहीं है।
चर्च से वुज़ू के लिए पानी का इंतज़ाम करने वाली ईसाई समुदाय के रोनी नेल्सन कहते हैं कि सभी धर्म एक हैं, राजनेताओं ने अपनी फायदे के लिए समाज को बाँट कर रख दिया है।
मोहब्बत की नगरी कहे जाने वाले आगरा के ये सभी लोग दशकों से गंगा जमनी तहज़ीब का परचम सहेजे हुए हैं, और इस दौर की गर्म नफरती हवाओं में भी उनका ये परचम बुलंद होकर शान से आज भी लहरा रहा है।
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