कोटा निवासी और मुंबई में रहने वाले नेत्रहीन मुर्तुज़ा अली ने कुछ दिन पहले दावा किया था कि वो पुलवामा हमले के शहीदों के लिए प्रधानमंत्री मोदी को 110 करोड़ रूपये दान करेंगे, उनके इस दावे को देश के हर न्यूज़ चैनल और अख़बार ने प्रमुखता से दिखाया था, सोशल मीडिया उनकी प्रशंसा से भर गया था, मगर अब उनके दावों पर संदेह पैदा हो रहे है।

मुर्तुज़ा अली के गृह नगर कोटा (राजस्थान) से ही प्रकाशित होने वाले चम्बल सन्देश ने इस संदेह को और बल दिया है, चम्बल सन्देश ने 5 मार्च को प्रकाशित अपने संस्करण में लिखा है कि मुर्तुज़ा अली की पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते ये घोषणा पूरी होने में संदेह है, अख़बार के अनुसार मुर्तुज़ा अली की आर्थिक स्थिति नाज़ुक है ऐसे में वो पुलवामा शहीदों के लिए 110 करोड़ जैसी भारी राशि कहाँ से लाएंगे ?

यही खबर चम्बल सन्देश ने अपने फेसबुक पेज पर भी शेयर की है।

अख़बार के अनुसार नज़दीकी लोगों का कहना है कि कुछ दिन पहले ही मुर्तुज़ा अली का 1 करोड़ 10 लाख का चेक बाउंस हुआ था, ऐसे में 110 करोड़ दान करने की बात पर सवाल तो उठता है, मुर्तुज़ा अली ने न सिर्फ शहीदों के लिए 110 करोड़ बल्कि कोटा शहर में मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने के लिए 250 करोड़ देने और 151 बेरोज़गारों को ट्रक देने की घोषणा भी की थी।

शहीदों को 110 करोड़ दान देने से पहले भी मुर्तुज़ा अली ने कई घोषणाएं की थीं जो राष्ट्रिय स्तर की सुर्खियां तो न बन पाईं मगर उनमें से कोई भी घोषणा पूरी नहीं हो पाई है, मुर्तुज़ा अली ने इससे पहले जो घोषणाएं की थीं और पूरी नहीं हो पाईं हैं, चम्बल सन्देश के अनुसार वो घोषणाएं निम्नलिखित हैं :-

A . मुर्तुज़ा अली ने क़रीब तीन साल पहले कोटा के नांता इलाक़े में समाज का स्कूल बनाने के लिए 1 करोड़ 10 लाख का चेक दिया था वो बाउंस हो चुका है।

B . बेरोज़गारों को ट्रक देने की बात एक वर्ष से चल रही है, पहले दिसंबर, फिर जनवरी उसके बाद फ़रवरी और अब मार्च में फिर से ट्रक देने की घोषणा कर दी है, इस घोषणा से प्रभावित होकर एक व्यापारी ने मुर्तुज़ा अली की 9.50 लाख की ऑनलाइन मदद भी की थी।

C . मुर्तुज़ा अली ने इससे पहले मुंबई में भी गरीबों के लिए मकान बनाने के लिए अपनी ओर से 53 और 21 करोड़ देने की घोषणा की थी जो कि अभी तक पूरी नहीं हुई है।

मुर्तुज़ा अली की आर्थिक स्थिति का ये हाल है कि उन्होंने एक व्यापारी से 18.50 लाख उधार लिए थे, इसे चुकाने बाबत जो चेक दिया गया वो बाउंस हो गया है। इसके अलावा एक और मामले में 5.50 लाख भी बकाया है।

अख़बार के अनुसार मुर्तुज़ा अली जन्म से अंधे नहीं हैं, वो दिन में दस फ़ीट की दूरी तक देख सकते हैं, रात में उन्हें देखने में परेशानी आती है, इनके परिवार की कोटा मोटर मार्किट में ऑटो आयल ट्रेडर्स नाम से एक दुकान थी, जो अपेक्षाकृत आमदनी न होने की वजह से बंद कर दी गयी।

मुर्तुज़ा अली के परिजन भी इन घोषणओं पर बोलने से बच रहे हैं, उनके कहना है कि मुर्तुज़ा काफी पहले मुंबई चले गए थे, कई सालों से कोटा नहीं आये हैं, वो ये घोषणाएं कैसे पूरी करेंगे वही बता सकते हैं।

मुर्तुज़ा अली की इन्ही घोषणाओं का फैक्ट चेक कर BBC ने भी अपनी एक रिपोर्ट में सवाल उठायें हैं और जब इन सवालों को लेकर मुर्तुज़ा अली से स्पष्टीकरण देने को कहा गया तो उन्होंने बीबीसी को गोलमोल जवाब दिए।

मुर्तज़ा से जब BBC ने पूछा कि उन्होंने ‘फ़्यूल बर्न टेक्नोलॉजी’ तैयार की है वो कंपनी भारतीय है या विदेशी ? इसका क्या नाम है ? क्या स्तर है ? मुर्तुज़ा अली ने कुछ नहीं बताया।

उनकी लैब कहाँ है, जहाँ उन्होंने इस तकनीक पर काम किया ? मुर्तुज़ा अपनी बात को घुमाते हुए जवाब देते हैं कि टेक्नोलॉजी से जुड़े सारे काम पूरे हो चुके हैं, तीन साल से तो हम सरकार तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं’. मगर मुर्तुज़ा अपनी लैब की जानकारी नहीं देते।

मीडिया कैमरों के सामने मुर्तुज़ा ने अपनी तकनीक का प्रदर्शन न करने के कई बहाने किये और इनकार कर दिया। और कहा कि मैंने इस तकनीक को स्टाम्प पर PM के नाम ट्रांसफर कर दिया है इसलिए इसलिए गोपनीयता के कारण वो नहीं दिखा सकते। उस तकनीक के ट्रांसफर के कागज़ात मांगने पर मुर्तुज़ा वो दस्तावेज़ भी नहीं दिखा पाए।

बीबीसी ने जब प्रधानमंत्री कार्यालय और सम्बंधित फण्ड विभाग से इस बाबत मालूमात की तो पता चला कि इस विभाग को मुर्तज़ा ने फोन पर 110 करोड़ रुपये दान करने की बात की थी, वो अपनी किसी रिसर्च के कागज़ देना चाहते थे, PMO के फण्ड विभाग मुर्तुज़ा से कहा था कि वो PMO में आकर अपने कागज़ जमा करा दें. लेकिन न तो रिसर्च के कागज़ आए, न ही कोई पैसा आया।

BBC और चंम्बल सन्देश के अलावा मुर्तुज़ा अली के दावों पर सवालिया निशान लगाती हुई एक खबर E-Postmortem ने भी प्रकाशित की है, जिसमें उनके दावों पर न सिर्फ सवाल उठाया है बल्कि उनकी पिछली आर्थिक गतिविधियों और पृष्ठभूमि का भी विस्तार से विवरण दिया है।

इन सब तथ्यों को देखते हुए अब मुर्तुज़ा अली की घोषणाओं पर संदेह गहराता जा रहा है, यदि ये मामला वैसा ही निकलता है जैसा कि उपरोक्त ख़बरों में बताया गया है तो ये बहुत ही दुखद बात होगी।

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