स्पेशल स्टोरी – वाया : The Quint.
श्रीलंका में 21 अप्रैल, रविवार को ईस्टर पर आठ अलग-अलग विस्फोट हुए, जिसमें कम से कम 290 लोग मारे गए और 500 घायल हो गए। इन धमाकों में कम से कम पांच भारतीय भी मारे गए हैं।
The Quint के अनुसार श्रीलंका के टवीटर यूज़र्स ने भारतीय मीडिया, नेताओं और प्रधानमंत्री मोदी पर ईस्टर ब्लास्ट को ‘चुनावी चारे’ के तौर पर इस्तेमाल करने पर रोष प्रकट किया है, ब्लास्ट वाले दिन मोदी जी द्वारा एक चुनावी सभा में ब्लास्ट पर शोक व्यक्त करने के तुरंत बाद लोगों से आतंकवाद से लड़ने के लिए भाजपा के कमल को वोट देने की अपील की। श्रीलंकन ट्वीटर यूज़र्स ने इसे पीएम मोदी का “राजनीतिक अवसरवाद” कहा है।
Indi Samarajiva (@indica) ने टवीट करते हुए कहा कि “श्रीलंका की त्रासदी कितनी जल्दी भारत का ‘चुनावी चारा’ बन गई, ये चौंकाने वाला है। हमारा देश दुख में है और भारतीय मीडिया और (भाजपा) राजनेता मदद नहीं कर रहे हैं।
How quickly Sri Lanka's tragedy became India's election fodder is shocking. Our country is in grief and their media and (BJP) politicians aren't helping
— indica (@indica) April 21, 2019
एक यूज़र Aruni Abeyesundere (@aruni_t) ने टवीट किया कि “ये जानकर सदमें में हूँ कि भारतीय मीडिया और कुछ भारतीय राजनेताओं द्वारा ईस्टर ब्लास्ट को राजनैतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
Shocked and disappointed to note Indian media and certain Indian politicians using Sri Lanka's tragedy for their own political advantage. #EasterSundayAttackLK
— ARUNI (@aruni_t) April 21, 2019
एक और यूज़र Gehan Gunatilleke (@GehanDG) ने पीएम मोदी के भाषण के टेक्स्ट का स्क्रीन शॉट शेयर कर टवीट किया है कि ये राजनैतिक अवसरवाद है।
There’s political opportunism.
And then there’s this pic.twitter.com/5KmR6edxER
— Gehan Gunatilleke (@GehanDG) April 21, 2019
भारतीय मीडिया को ईस्टर ब्लास्ट में मुस्लिम आतंकी संगठन का नाम बताने की जल्दी क्यों ?
इसके बाद श्रीलंकन ने भारतीय मीडिया पर ईस्टर ब्लास्ट में श्रीलंका सरकार से पहले ही मुस्लिम संगठन की पहचान करने की जल्दी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि श्रीलंका सरकार ने 22 अप्रेल की दोपहर तक किसी भी आतंकी संगठन का नाम नहीं लिया था न ही किसी की पहचान बताई थी, मगर भारतीय मीडिया को ऐसी क्या जल्दी थी कि उसने इससे पहले ही 21 अप्रेल को ही आतंकी संगठनों की पहचान कर नाम घोषित कर दिए ?
श्रीलंकन का यही कहना था कि ‘Don’t Trust Indian Media.’
एक ब्लू टिक यूज़र Amarnath Amarasingam (@AmarAmarasingam) ने टवीट किया कि “इस हमले को चिन्हित करने वालों ने बौद्ध अतिवादियों की ओर क्यों इशारा नहीं किया ? वैसे ये सुनिश्चित नहीं है कि वो लोग पर्यटकों को मारने बाहर निकलेंगे।”
9/9. I would also be very careful using certain media sources out of India, random Facebook pages, and even some Sri Lankan media outlets and government officials as the sole source of info.
— Amarnath Amarasingam (@AmarAmarasingam) April 21, 2019
एक अन्य यूज़र Anis Ahmed (@AnisPFI) ने भी टवीट कर भारतीय मीडिया द्वारा ईस्टर ब्लास्ट में मुस्लिम संगठन के नाम बताये जाने की जल्दी पर सवाल खड़े किये।
Just google "Sri Lanka" and compare the reports of Indian Media vs international media..Sri Lanka government is still investigating but Indian media has already linked the attack to Muslim organizations in India @mehdirhasan @yvonneridley @IlhanMN @AJEnglish @RanaAyyub
— Anis Ahmed (@AnisPFI) April 22, 2019
वहीँ भारतीय सामाजिक कार्यकर्त्ता कविता कृष्णन ने भी इस मुद्दे पर टवीट करते हुए कहा है कि “एलर्ट – एक श्रीलंकाई वकील द्वारा एक एफबी पोस्ट, ने चेतावनी दी है कि # श्रीलंकबालास्ट्स के लिए इस्लामिक आतंकवादियों को दोषी ठहराने वाले पोस्ट बिना किसी आधार के प्रसारित किए जा रहे हैं। श्रीलंकाई अधिकारियों ने अभी तक अपराधियों की पहचान नहीं की है।”
Alert – a FB post by a Sri Lankan lawyer, has warned that posts blaming Islamic terrorists for the #srilankablasts are being circulated without any basis as of now. Sri Lankan authorities haven't yet identified the perpetrators. Sharing the imp post while retaining their privacy pic.twitter.com/eKr5QX06jy
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) April 21, 2019
श्रीलंका सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर बैन लगाने को लेकर भी कुछ यूज़र्स ने सवाल खड़े किये हैं, और अधिकांश ने इस गैर ज़रूरी बताया है।
In response to terrible attack in Sri Lanka, government blocks social media +messaging apps.
Understandable move perhaps, but bad idea.
Like info, misinfo travels in many ways, and as @ElCalavero has shown, shutdowns are often followed by clear *increase* in violence #keepiton
— Rasmus Kleis Nielsen (@rasmus_kleis) April 21, 2019
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