क्या आप जानते हैं कि दुनिया के कई अमीर स्विट्ज़रलैंड में इच्छा मृत्यु के लिए जाते हैं ? स्विट्ज़रलैंड में 1942 से ही खुदकुशी करना कानूनी तौर पर वैध है और सिर्फ 2020 में ही 1300 से ज्यादा लोग इच्छा मृत्यु के लिए स्विट्ज़रलैंड में ये सेवा लेकर मौत को गले लगा चुके हैं।
The Week के अनुसार ‘स्टाइलिश’ और ‘शांतिपूर्ण’ आत्महत्या के लिए थ्री-डी प्रिटेंड ‘डेथ पॉड’ नामक ताबूत नुमा जिसे Sarco Machine भी कहा जा रहा है, बनकर तैयार है और इसे स्विट्ज़रलैंड सरकार ने कानूनी मान्यता भी दे दी है।
इस खास कैप्सूल ‘डेथ पॉड’ को ऑस्ट्रेलियाई एनजीओ (Exit International) के संस्थापक और इच्छा मृत्यु के पैरोकार फिलिप निट्स्के द्वारा डिजाइन किया गया है। फिलिप निट्स्के का मानना है कि इच्छामृत्यु चाहने वालों के लिए यह मशीन काफी मददगार साबित होगी। निट्स्के का कहना है कि इस ‘डेथ पॉड’ को अपनी मनचाही जगह पर ले जाया जा सकता है और यह अपने आधार से भी अलग हो सकता है। इच्छा मृत्यु चाहने वाले इसे ताबूत की तरह इस्तेमाल कर कहीं भी लेकर जा सकते हैं। इस अनोखे अविष्कार के लिए फिलिप निट्स्के को ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से पुकारा जाने लगा है।

मरने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति आराम से ‘डेथ पॉड’ के अंदर लेटकर मशीन को एक्टिव कर सकता है। मशीन एक्टिव करने से पहले मरने वाले से कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं और यदि वे और मौजूद टीम पूरी तरह संतुष्ट और सहमत हैं तो व्यक्ति कैप्सूल के अंदर मशीन को एक्टिव करने के लिए बटन दबा सकता है।
एक्टिवेशन के बाद ‘डेथ पॉड’ का सिस्टम करीब 30 सेकेंड में ऑक्सीजन के स्तर को 21 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी करने का काम करता है। ऊतक स्तर पर पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति के बिना और रक्त में बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड होने से 5-10 मिनट में ही बिना दर्द, घबराहट या बिना किसी घुटन के व्यक्ति की हाइपोक्सिया और हाइपोकेनिया के माध्यम से मृत्यु होती है।
कानूनी मान्यता के बाद अगले साल से इस खास मशीन ‘डेथ पॉड’ का वृहद् तौर पर इस्तेमाल शुरू हो सकता है।डॉ फिलिप निट्स्के का कहना है कि “किसी भी अप्रत्याशित कठिनाइयों को छोड़कर हम अगले साल स्विट्जरलैंड में Sarco Machine को उपयोग के लिए उपलब्ध कराने के लिए तैयार होने की उम्मीद करते हैं। यह अब तक एक बहुत महंगी परियोजना रही है, लेकिन हमें लगता है कि अब हम कार्यान्वयन के काफी करीब हैं।”
वहीँ इस ‘डेथ पॉड’ मशीन के प्रचलन के विरोध में भी स्वर उठने लगे हैं, लोगों का मानना है कि यह ‘डेथ पॉड’ सुसाइड मामलों को बढ़ावा देने की कोशिश है और इसके जरिए खुदकुशी के लिए लोगों का रुझान बढ़ेगा जो कि सही बात नहीं है।
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