पिछले साल मार्च की ही बात है मिस्र की 19 वर्षीय स्टूडेंट मरियम मुस्तुफा पर नस्लवादी और दक्षिणपंथी ग्रुप ने बस में  हमला किया था। गंभीर रूप से घायल मरियम अस्पताल में 24 दिन कोमा में रही और आखिर में उसने 16 मार्च को अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

मरियम की मौत के बाद ब्रिटेन में बवाल खड़ा हो गया था, बात मिस्र और ब्रिटेन दोनों देशों के संबंधों तक जा पहुंची थी, साथ ही दोनों देशों की जनता भी इस मौत से दुखी और आक्रोशित थी, ब्रिटेन में दक्षिणपंथी और नस्ल वादी संगठनों के बढ़ते प्रभाव और मरियम की मौत से दुखी वहां की जनता दक्षिणपंथ और नस्लवाद के खिलाफ उठ खडी हुई थी।

हर मज़हब, हर देश हर रंग के लोग बर्फ जमा देने वाली ठण्ड में लंदन के ऑक्सफ़ोर्ड सर्कस मैदान में जमा हुए थे, उनके हाथों में ‘अपने हाथ हिजाब से दूर रखो’, ‘शरणार्थियों का स्वागत है’ और ‘इस्लामोफोबिया को ना’, जैसे बैनर लिए ब्रिटेन में बढ़ती नस्लीय और सांप्रदायिक हिंसा, सोशल मीडिया के ज़रिये हेट स्पीच और मुसलमानो के खिलाफ हेट क्राइम्स के खिलाफ जंगी विराट विरोध प्रदर्शन किया था।

और इसका नतीजा निकला कि अपने आपको ब्रिटेन के राष्ट्रवादी कहलाने वाले Britain First के दो पदाधिकारियों, पॉल गोल्डिंग और जेड़ा फ्रांसेन को ब्रिटेन में नस्लीय दंगे फ़ैलाने, सोशल मीडिया पर हेट स्पीच, और धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था और उन्हें क्रमश: 18 सप्ताह और 36 सप्ताह की सज़ा सुनाई गयी थी।

और साथ ही इस नफरती संगठन ब्रिटेन फर्स्ट के फेसबुक पेज को ब्लॉक करने के साथ साथ इन पदाधिकारियों की आइडीज़ भी ब्लॉक कर दी गयीं थीं, इसमें जेड़ा फ्रांसेन सार्वजनिक जगहों पर मुस्लिम औरतों के सरों पर से हिजाब खींचने के वीडिओज़ बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किया करती थी।

 

ये सब दक्षिणपंथ और नस्लवाद के खिलाफ खड़े होने वाली ब्रिटेन की जनता के विरोध की वजह से ही संभव हो पाया कि ब्रिटिश सरकार को ऐसे नफरती संगठनों पर न सिर्फ पाबन्दी लगानी पडी बल्कि उनके पदाधिकारियों को जेल पहुँचाना पड़ा।

दुनिया के सभी लोगों को एकजुट होकर आतंकवाद और दक्षिणपंथ के साथ सोशल मीडिया पर तेज़ी से बढ़ रही हेट स्पीच के खिलाफ भी खड़े होना होगा, वर्ना नफरत का अड्डा बना ये बेलगाम सोशल मीडिया सामाजिक समरसता और सौहार्द को तबाह कर देगा।

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