उत्तरी और पश्चिमी अफगानिस्तान में अभूतपूर्व सूखे से करीब 20 लाख लोग जूझ रहे हैं, जहां नई फसल चौपट हो गई और लाखों लोग विस्थापित हो गए हैं, सूखे से प्रभावित हो रहे विस्थापित अफगानी लोगों के पास खाने पीने के लिए पैसे और सामग्री तक नहीं है।
CNN की खबर के अनुसार संयुक्त राष्ट्र ने पश्चिमी शहर हेरात के आस-पास के कई परिवारों से बात की है, जिन्हें विकराल सूखे के कारण अपने घरों से पलायन करने को मजबूर होना पड़ा है, अफगानिस्तान में हिंसा से प्रभावित होकर पलायन करने की तुलना में जारी सूखे के कारण अधिक लोगों ने पलायन किया है।
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि चार साल से हिंसा जारी रहने, नियमित वर्षा नहीं होने, पर्यावरण बदलाव के चलते, फसलें चौपट होने की वजह से सूखे के हालात पैदा हो गए, और इस कारण 275,000 से ज्यादा लोगों पलायन किया है, उनमें से 84,000 शहर से और 182,000 बदघीस के क्षेत्र से हैं।
CNN ने हेरात शहर के बाहर स्थित शरणार्थी शिविर में रह रही मामारीन से बात की जिसके पति युद्ध में मारे जा चुके थे, मामारीन ने अपने छोटे छोटे बच्चों के खाने के सामान के लिए अपनी 6 साल की बेटी अकीला को 3000 डॉलर में बेच दिया।
मामारीन कहती हैं कि सूखे की मार के चलते मैं अपने तीन बच्चों के साथ गांव छोड़कर शहर की ओर मदद की आस में आयी थी मगर मुझे निराशा ही हाथ लगी, अपने छोटे भूखे बच्चों को भूख से तड़पता देख मुझे अपनी बेटी अकीला को एक आदमी को $3,000 में बेचना पड़ा, मगर मुझे पूरे पैसे नहीं मिले हैं, सिर्फ 70 डॉलर्स ही दिए गए हैं।
जब मामारीन से उसकी बेटी अकीला के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि अभी वो छोटी है और उसे इस बात का पता नहीं है कि उसे बेच दिया गया है, मैंने बहुत ही मजबूरी में ये क़दम उठाया है।
सिर्फ मामारीन ही उस शरणार्थी शिविर में नाम न बताने की शर्त पर एक और व्यक्ति ने बताया कि भूख से बेहाल होकर अपने बच्चों का पेट भरने के लिए उसे अपनी छोटी बेटी को बेचना पड़ा है।
CNN के अनुसार तालिबान नियंत्रित इलाक़ों में हिंसा सूखे और अकाल की वजह से भी ऐसे हालात पैदा हुए हैं, ऐसे शरणार्थी शिविरों के आस पास लड़कियां खरीदने वाले शातिर लोग सक्रीय रहते हैं जो इन शरणार्थियों की मजबूरियों का फायदा उठाकर लड़कियां खरीदते हैं।
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