देश के युवा ही देश का भविष्य होते हैं, यही कल का भारत हैं,, ये युवा पीढ़ी शिक्षित होकर न सिर्फ अपना भविष्य बनाती है बल्कि राष्ट्र का निर्माण भी करती है, डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, वैज्ञानिक, सेना, पुलिस, एयरफोर्स, प्रोफ़ेसर और शिक्षक के रूप में यही भविष्य के भारत की रूप रेखा बनाते हैं, देश की प्रगति और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

एक छात्र शौविक दत्ता ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और जिसे बड़े अख़बारों ने भी प्रमुखता से छापा है  Indian Express ने भी इसे जगह दी है, शौविक दत्ता और उनके साथी उस दिन को कभी नहीं भूल पाएंगे जब उन्होंने Zomato एप से अपने साथियों के लिए कुछ खाना आर्डर किया था।

आर्डर देने के बाद जब उनके पास Zomato से आर्डर कन्फर्म होने का मेसेज आया तो शौविक दत्ता ने देखा कि उन्हें डिलीवरी देने आने वाले युवक का नाम मेराज था और वो कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएट था, और हिंदी और बंगाली में भी बात कर सकता था, Zomato एप में नया अपडेट ये किया गया है कि वो अपने ग्राहकों को डिलीवरी देने वालों के बारे में बुनियादी जानकारी उपलब्ध कराते हैं।

इसके बाद जो हुआ, वह शौविक दत्ता के जीवन का सबसे शर्मनाक पल था, जो शौविक और उनके साथी कभी नहीं भूलेंगे। अपनी पोस्ट में शौविक लिखते हैं “खुद को इकट्ठा करते हुए मैं अपना खाना लेने के लिए सामने के दरवाजे पर गया, मैंने देखा कि सामने खड़े युवक ने एक मुस्कान के साथ मुझे खाने का पार्सल सौंप दिया।

फिर हुआ मेरे जीवन का सबसे शर्मनाक पल था, हाथ जोड़कर उस युवक ने कांपती हुई आवाज में कहा, ‘सर, एकटु रेटिंग टा दीया डेबेन।’ (सर, कृपया एक रेटिंग ज़रूर दे दीजिये)

डिलीवरी बॉय मेराज के साथ बातचीत के बाद शौमिक दत्ता को पता चला कि मेराज कलकत्ता यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर था और उन्होंने फाइनेंस/निवेश बैंकिंग में पीजीडीएम भी किया था।

इस घटना के बाद शौमिक दत्ता ने भारत में नौकरियों की उपलब्धता पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि जब एक पोस्ट ग्रेजुएट को इस तरह की नौकरियां करना पड़ें तो ये देश के युवाओं को क्या संदेश देता है ? सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को वायरल होने में ज्यादा समय नहीं लगा।

काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता, मगर जब इंजीनियर, तकनिकी डिग्रियां लिए और Phd किये लोग चपरासी सफाई कर्मी या वेटर जैसे पदों के लिए आवेदन करें तो बेरोज़गारी की भयावहता का अंदाज़ा होता है।

अभी 11 फरवरी की ही बात है, बक्सर के इंजीनियरिंग किये हुए 31 वर्षीय सौरभ राजपूत ने बेरोज़गारी से तंग आकर दिल्ली में फ्लाईओवर से कूदकर आत्महत्या कर ली थी।

मगर वर्तमान सरकार में बेरोज़गारी की विकराल होती समस्या किसी से छुपी नहीं है, अभी कुछ दिन पहले राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (National Statistical Commission) के दो पदाधिकारियों ने इस्तीफ़ा दे दिया था, उनका आरोप था कि प्रधान मंत्री मोदी ने सरकार ने बेरोजगारी पर एनएससी की रिपोर्ट को रोका हुआ है।

उसके बाद एक और आंकड़ा आया कि मोदी सरकार में नोटबंदी के चलते रिकॉर्ड तोड़ बेरोज़गारी दर्ज की गयी है जिसने कि  45 साल का रिकॉर्ड तोड़ डाला है, जबकि मोदी जी बेरोज़गारी के इन भयावह आंकड़ों को छुपाकर कहते हैं कि देश में लाखों ऑटो की बिक्री हुई है, कौन कहता है कि रोज़गार नहीं है ?

एक चपरासी, वेटर, सफाई कर्मी के लिए लाखों ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट बेरोज़गारों के आवेदन क्या कहते हैं ? देखा या महसूस किया है कभी ? अभी 23 जनवरी की ही खबर थी कि महाराष्ट्र सचिवालय कैंटीन में 13 वेटर्स की पोस्ट के लिए 7000 आवेदन आये थे, इसके लिए न्यूनतम योग्यता चौथी पास थी, जिसमें चयनित 13 वेटर्स में से 12 युवक ग्रेजुएट हैं और एक 12 वीं पास है।

मंदिर-मस्जिद और हिन्दू-मुस्लिम से किसी के घर का चूल्हा नहीं जलता ना ही किसी का पेट भरता है, ये अलग बात है कि इसकी आंच पर राजनैतिक रोटियां ज़रूर सेंकी जा सकती हैं, सत्ताएं हासिल की जा सकती हैं बेरोज़गारी के भयावह आंकड़े छुपाकर कभी पकोड़ा बनाने की सलाह तो कभी नाले की गैस से चाय बनाने के उपाय बताने या देश में बिकते लाखों ऑटो की बिक्री के आंकड़े बताने के बजाय देश के प्रधान मंत्री मोदी जी देश में 45 सालो में बढ़ी सबसे विकराल बेरोज़गारी और देश की युवा पीढ़ी के टूटते सपनों के ज़मीनी हकीकत को समझें और इसे दूर करने की प्रतिबद्धता दिखाएं ताकि ये पीढ़ी इस अवसाद और निराशा से मुक्ति पा सके।

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