दिवालिया हो चुके श्रीलंका के राष्ट्रपति राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के विरुद्ध ऐतिहासिक विरोध हो रहा है, और उस विरोध स्थल पर राष्ट्रीय एकता के दुर्लभ दृश्य देखने को मिल रहे हैं, जिसमें सभी समुदाय एकजुट होकर दिवालिया हो चुके अपने देश को बचाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं। सबसे बड़ी बात कि श्रीलंका के खराब आर्थिक हालात ने दशकों से नफरत और अलगाव झेल रहे श्रीलंकाई मुसलमानों को भी देश के अन्य समुदायों के साथ एकजुट कर दिया है।

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के गाले फेस पर लोगों का विशाल प्रदर्शन जारी है जहाँ Gota Go Home’ के पोस्टरों और नारों के साथ हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारी इकठ्ठे हुए हैं, उन्होंने यहाँ सैंकड़ों टेंट लगा लिए हैं। इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में स्थानीय मुसलमान भी शामिल हैं। क्योंकि ये यह रमजान का महीना है इसलिए कुछ लोग विशेष रूप से मुसलमानों के लिए इफ्तार और सेहरी की व्यवस्था करने में भी लगे हुए हैं, श्रीलंका में मुस्लिम आबादी कुल आबादी की 10 फीसदी है।

इफ्तार की तैयारी.

आईटी स्टूडेंट अफजल हुसैन प्रदर्शन स्थल पर इफ्तार को-ऑर्डिनेटर हैं। प्रदर्शन स्थल पर शाम होते ही इफ्तार की तैयारी होने लगती है। मुसलमानों के साथ बड़ी तादाद में दूसरे धर्म के लोग लोग भी साथ इफ्तारी करते हैं। इनमें रोजेदार मुसलमानों के अलावा प्रदर्शन में शामिल दूसरे लोग भी होते हैं। इफ्तार के समय मुसलमान टेंटों के बाहर एक साथ बैठकर इफ्तार करते हैं जिसमें दूसरे लोग भी शामिल होते हैं, ये राष्ट्रिय और धार्मिक एकता का अनूठा दृश्य होता है। दशकों से नफरत और अलगाव का दंश झेल रहे मुसलमान दक्षिणपंथी बौद्ध भिक्षु संगठन बोदु बाला सेना के निशाने पर रहे और सबसे आखिर में 21 अप्रेल 2019 में हुए ईस्टर आतंकी हमले के बाद उन पर पहाड़ टूट पड़ा था।

रोज़ेदारों के लिए ठन्डे शरबत का इंतेज़ाम.

कई मुस्लिम लड़कियां और महिलाएं हिजाब पहनकर इस प्रदर्शन में शामिल हैं। श्रीलंका में हिजाब बैन पर सियासत गरमाई थी और उसके बाद ईस्टर हमलों के बाद मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनना बंद कर दिया था और अपना पारंपरिक पहनावा भी बदल लिया था, लेकिन इस प्रदर्शन के बाद ये लड़कियां अब फिर से हिजाब पहनने लगी हैं और उनका कहना है कि हमारे हिजाब से किसी को अब कोई आपत्ति नहीं हैं।

लोगों का कहना है कि सब ये समझ गए हैं कि राजपक्षे ने श्रीलंका को बर्बाद किया है। मुस्लिम हों, तमिल हों या सिंहली या फिर ईसाई हों, अब सब जान गए हैं कि श्रीलंका का पैसा राजपक्षे ने लूट लिया है। यही वजह है कि लोग धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, उम्र और अन्य मतभेदों को भुलाकर लोग भ्रष्ट शासन को उखाड़ फेंकने के लिए एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं।

।9 अप्रैल को बड़े पैमाने पर विरोध के रूप शुरू हुआ सरकार विरोधी प्रदर्शन एक टेंट्स वाली कॉलोनी में बदल गया है है। प्रदर्शनकारियों के हौसले को बढ़ाने के लिए लोग अपने तौर पर दान दे रहे हैं, विदेशों में बसे श्रीलंकाई भी दिल खोलकर दान भेज रहे हैं। टेंट्स कॉलोनी के लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे सैनिटरी नैपकिन से लेकर टॉयलेटरीज़, पानी की बोतलें, चाय की पत्ती सहित सूखे राशन, दूध पाउडर, बिस्कुट आदि सब कुछ उपलब्ध है।

प्रदर्शनकारियों के लिए आवश्यक वस्तुओं का भंडारण.

मैं अपने स्कूल के दोस्तों से मिला और मेरी पत्नी ने अपने स्कूल के दोस्तों को इकट्ठा किया और हम प्रदर्शनकारियों को चाय, कॉफी और जलपान उपलब्ध करा रहे हैं,” कोसल गुरुगे ने कहा। “सद्भाव की एक आम भावना है। हम में से हर कोई संकट से प्रभावित है, लेकिन राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और कैबिनेट शानदार जीवन जी रहे हैं। इसलिए वे कठिनाइयों को महसूस नहीं करते हैं। उन्हें कतारों में नहीं लगना पड़ेगा, उनके पास गैस या दूध पाउडर की कमी नहीं है। लोग इस समय स्वैच्छिक सेवा करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन फिर भी हम अभी भी गाले फेस ग्रीन में प्रदर्शनकारियों को पानी, भोजन, चाय, सूखा राशन, प्रसाधन और अन्य सभी सामान उपलब्ध कराने में कामयाब रहे हैं।”

प्रदर्शनकारियों के लिए चाय और कॉफी की पेशकश करने के लिए हम दोस्तों का एक समूह इकट्ठा हुआ है। “हमारे पास चाय और कॉफी है। कॉफी में कैफीन होता है और यह एक बूस्टर है। मैं चाहता हूं कि यहां आने वाले और इस देश में सभी की ओर से नारे लगाने वाले सभी लोग एनर्जी से भरपूर हों। यहां आप जो देख रहे हैं वह अनेकता में एकता की खूबसूरत कहानी है। मैं एक मुसलमान हूं और आज रोज़े से हूं, लेकिन मेरी शादी एक सिंहली लड़की से हुई है। यह एकता है। ” छात्र फरजान शेरिफ ने कहा।

फरजान शेरिफ आगे कहते हैं कि “वर्षों से शासकों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए समुदायों को दूर किया है, लेकिन इस बार श्रीलंकाईपन की सच्ची भावना को पुनर्जीवित किया गया है। प्रदर्शनकारियों का लक्ष्य नए साल की भोर के दौरान भी अपने मिशन को जारी रखना है।”

इसी दौरान दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र रामबुकाना में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलीबारी कर दी थी। गत मंगलवार को हुई इस हिंसा में एक व्यक्ति 41 वर्षीय चामिंडा लक्षण की मौत हो गई, जबकि 13 लोग घायल हुए थे।

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