क्या आप जानते हैं कि आजादी मिलने के बाद मार्च 1948 तक पाकिस्तान में भारतीय नोट ही चलते थे ? या पाकिस्तान के लिए नोट भारतीय रिज़र्व बैंक से छपकर जाते थे ?

लगभग 200 वर्षों तक ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा शासित रहने के बाद अगस्त 1947 में भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देशों में बंट गए। 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान को आजादी मिली थी और भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी। आजादी मिलने के बाद भी मार्च 1948 तक पाकिस्तान में भारतीय नोट ही चलते थे।

पाकिस्तान सरकार ने 1 अप्रैल 1948 से पाकिस्तान में चल रहे सारे भारतीय नोटों को बंद कर सभी तरह के नोटों के सर्कुलेशन पर रोक लगा दी थी। 1 अप्रैल 1948 से इन भारतीय रुपयों के स्थान पर भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने पाकिस्तान सरकार के लिए अलग से नोट छापने शुरू किये। ये नोट विशेष रूप से पाकिस्तान के लिए छापे गए थे और इनका इस्तेमाल केवल पाकिस्तान में ही हो सकता था।

1, 5, 10 और 100 रुपये के पाकिस्तानी नोट नासिक स्थित सिक्युरिटी प्रेस में छपते थे। इन नोटों पर RBI के गवर्नर के ही साइन होते थे। हर नोट पर ऊपर अंग्रेजी में Reserve Bank of India व साथ में अंग्रेजी और उर्दू में गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान और हुकूमत-ए-पाकिस्तान लिखा होता था।

पाकिस्तान में 1953 तक पाकिस्तान के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक नोट छापता रहा। पाकिस्तान सरकार ने 1953 से अपने लिए नोट छापने शुरू किए। पाकिस्तान के स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) ने देश में खुद नोट छापना शुरू किया था।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जून 1948 तक दोनों देशों के सामान्य मुद्रा प्राधिकरण के रूप में कार्य किया क्योंकि विभाजन के तुरंत बाद पाकिस्तान के लिए तुरंत ही मुद्रा छापने के लिए केंद्रीय बैंक स्थापित करना संभव नहीं था। इसलिए, भारत और पाकिस्तान “मौद्रिक प्रणाली और रिजर्व बैंक आदेश 1947” के तहत एक समझौते पर पहुँचे और फैसला किया कि भारतीय रिज़र्व बैंक को सितंबर 1948 तक पाकिस्तान के लिए केंद्रीय बैंकिंग प्राधिकरण के रूप में कार्य करना जारी रखना चाहिए।

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