खोपोली में अपने बागबान (माली) समुदाय द्वारा विरोध के बाद अपने माता पिता से मिले समर्थन की वजह से अशरीन शेख अपने समुदाय की पहली महिला इंजीनियर बन गयीं हैं। बायकुला की कायनात कुरैशी ने कालेज की पढाई से लेकर ग्रेजुएशन करने तक पारिवारिक विरोध को झेला है और कई बार ख़ुदकुशी करने का विचार भी आया था, आज ये दोनों लड़कियां हज हाउस के सुरक्षित माहौल में हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCI) द्वारा संचालित IAS और एलाइड कोचिंग एंड गाइडेंस सेल में IAS परीक्षा की तैयारी में डूबी हुई हैं।

Mumbai Mirror की खबर के अनुसार इस सेल की स्थापना अगस्त 2009 में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में की गई थी, जिसमें पाया गया कि देश के मुस्लिम अन्य समुदायों के मुक़ाबले में शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ गए हैं। नवंबर 2006 में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मुसलमान भारतीय आबादी का 14% हैं, लेकिन उनमें केवल 3% सिविल सेवा और 4% पुलिस सेवा शामिल है। तब से, सिविल सेवाओं में मुस्लिम प्रतिनिधित्व में कुछ हद तक सुधार हुआ है। पिछले साल सिविल सेवा की परीक्षा देने वाले 1,099 उम्मीदवारों में से 50 (4.5%) मुस्लिम थे, जो आजादी के बाद सबसे ज्यादा थे।

मुंबई के हज हाउस में सिविल सेवा कोचिंग सेंटर, जिसे अब तक मुस्लिम युवाओं को सिविल सेवाओं की ओर भेजने में सीमित सफलता मिली थी, को बढ़ावा मिला, जब इसके तीन पूर्व छात्रों को हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा चुना गया था। जुनैद अहमद, जो उत्तर प्रदेश के बिजनौर के निवासी हैं और 2013 और 2015 के बीच दो साल के लिए हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCI) द्वारा संचालित IAS और एलाइड कोचिंग एंड गाइडेंस सेल में प्रशिक्षित हुए, UPSC परीक्षा में तीसरे स्थान पर रहे। । तेलंगाना के महबूब नगर से अहमदनगर और मोहम्मद मुस्तफा एजाज, मोहम्मद मुस्तफा एजाज अन्य दो सफल उम्मीदवारों को क्रमशः 225 वें और 613 वें स्थान पर रखा गया।

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाली लड़कियों में अधिकांश अपना सर ढक कर रखती हैं तो कुछ बुर्का पहनती हैं, तो कई मर्द दाढ़ी रखे हुए हैं। पूछने पर वो कहते हैं कि हमारे पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन अलग अलग हैं, ज़ुवैरिया सय्यद जिन्होंने पुणे के मराठी स्कूल से पढाई की है कहती हैं कि “मैं एक मुसलमान हूँ और एक भारतीय भी हूँ, एक मुसलमान के तौर पर क़ुरआन मेरा रहनुमा है और एक भारतीय के तौर पर संविधान मेरा मार्ग दर्शक है, मेरा विवेक मुझे दोनों को बनाये रखने में मदद करेगा।

हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCI) द्वारा संचालित IAS और एलाइड कोचिंग एंड गाइडेंस सेल का उद्देश्य देश की सिविल सेवाओं में मुस्लिम प्रतिनिधित्व में सुधार करते हुए मुस्लिम प्रतिनिधित्व को बढ़ाना है। हर साल (HCI) अपने प्रवेश परीक्षा के माध्यम से 50 स्नातकों का चयन करता है, जो एक साल के लिए हज हाउस में नि: शुल्क आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरते हैं।

इन सभी छात्रों को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के पास 20 मंजिला इमारत में समायोजित किया गया है, उनके साथ लाइब्रेरी, स्टडी रूम और डिजिटल क्लासेज जैसी कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। जबकि ट्रेनी अपने खाने के लिए थोड़ा बहुतही भुगतान करते हैं, बाकी ट्रेनिंग का खर्च केंद्र और हाजियों द्वारा उठाया जाता है।

अब तक इस कोचिंग सेंटर ने सात UPSC अचीवर्स तैयार किये हैं, जिनमें तीन इस साल चुने गए थे। जुनैद अहमद को पिछले साल भी चुना गया था और अब वह भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं। कई अन्य पूर्व छात्र अन्य सरकारी एजेंसियों में शामिल हो गए हैं, जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग और विभिन्न राज्य सेवाएं शामिल हैं।

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