नफरत में अंधे हो चुके एक पूर्व अमरीकी फौजी इशाह पीपल्स ने 23 अप्रैल को कैलिफॉर्निया में अपने भाई और पिता के साथ सड़क पार कर रही 13 वर्षीय धृति पर अपनी टोयोटा कोरोला कार चढ़ा कर मार डालने की कोशिश की, फौजी इशाह पीपल्स इराक युद्ध भी लड़ चुका है। इस हमले में धृति के पिता और 9 साल के उसके भाई को भी चोट आई है।

मस्तिष्क में आयी गंभीर चोटों के कारण 23 अप्रेल से कोमा में और लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है धृति नारायण।

धृति के पिता और भाई को मामूली चोटें आईं थी, वहीँ अन्य घायल मरीना रीमलर, 32, सॉरेन रेमलर, 33; पिंग लू, 51, एरिक नवा, 24, 15 साल के मिगेल बबलू नवा को भी प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।

पुलिस का कहना है कि उक्त फौजी ने जानबूझकर धृति, उसके पिता राजेश नारायण, उसके नौ वर्षीय भाई प्रखर और पांच अन्य पीड़ितों को निशाना बनाया क्योंकि उसका मानना ​​था कि वे लोग मुस्लिम हैं।

Business Standard की खबर के अनुसार पूर्व अमरीकी फौजी इशाह पीपल्स ने उस परिवार को मुस्लिम समझ कर ये हमला किया था, 13 वर्षीय धृति के सबसे ज़्यादा घातक चोटें लगी हैं, उसके दिमाग में गंभीर चोटों के कारण वो लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है, और 23 अप्रेल से ही कोमा में है।

फौजी पीपल्स की टोयोटा कोरोला कार धृति, उसके पिता और भाई सहित कई लोगों को कुचलती हुई पेड़ से टकराई थी।

धृति के इलाज के लिए अमरीका में हज़ारों लोग आगे आये और क्राउड फंडिंग GoFundMe के ज़रिये 5 लाख डॉलर का लक्ष्य रखा, मगर केवल 8 दिनों (7 मई तक) में ही ये फण्ड 6 लाख डॉलर से भी ऊपर (लगभग 4.17 करोड़ रु.) हो गया। इस क्राउड फंडिंग मुहिम में कुल 12,400 से ज्यादा लोगों ने योगदान दिया था। अभी ये आंकड़ा $616,932 है।

पूर्व अमरीकी फौजी इशाह पीपल्स.

बताया जा रहा है कि पूर्व सैनिक इशाह पीपल्स जून 2005 से मई 2006 तक इराक़ में तैनात था, उसके खिलाफ पहले कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, उनकी मां लीवेल पीपल्स के अनुसार के पीपल्स पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से पीड़ित है। इशाह पीपल्स हत्या की कोशिश के मुकदमे का सामना कर रहा है और फिलहाल जेल में है।

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