सोमवार की खबर थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नई दिल्ली में प्रथम फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल एवार्ड प्रदान किया गया, लोग और गोदी मीडिया अवार्ड समाचार की चीयर लीडर बन कर लहालोट हो रहे हैं, गोदी मीडिया इस खबर को इस तरह से पेश कर रही है जैसे विश्व का कोई नया प्रतिष्ठित पुरस्कार अस्तित्व में आया हो या विश्व का दुर्लभ अवार्ड हो या फिर नोबल से दो फुट ऊंचा कोई नया पुरस्कार हो।

सूचना क्रांति के इस दौर में कोई भी भ्रान्ति ज़्यादा देर तक टिक नहीं पाती, साइबर दुनिया के कई ज्ञानी डिजिटल पंडित कुछ ही घंटों में बखिया उधेड़ कर सच सामने रख देते हैं, The Wire ने इस तथाकथित प्रतिष्ठित फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल एवार्ड की कुंडली खोज निकाली है।

The Wire के अनुसार फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल एवार्ड ‘वर्ल्ड मार्केटिंग समिट-इंडिया’ द्वारा प्रदान किया गया है, जिसका इवेंट 14 दिसंबर 2018 को दिल्ली में आयोजित हुआ था और जिसकी सह प्रायोजक एक निजी कंपनी थी, और पार्टनर्स थे : GAIL इंडिया, बाबा रामदेव का पतंजलि ग्रुप, BJP के MP राजीव चंद्रशेखर के सह स्वामित्व वाला रिपब्लिक टीवी और कुछ अन्य कम्पनियाँ।

World Marketing Summit (WMS) द्वारा इससे पहले ये पुरस्कार एडवरटाइजिंग और मार्केटिंग के लिए दिया जाता था, बाद में इसका नाम वर्ल्ड मार्केटिंग समिट ग्रुप के संस्थापक और मार्केटिंग गुरु फिलिप कोटलर के नाम पर रख दिया गया।

फिलिप कोटलर के इस नए पुरस्कार का विवरण वेब साइट पर उपलब्ध नहीं है, यहाँ तक कि वर्ल्ड मार्केटिंग समिट’ 18, दिल्ली समिट, या इसके वर्ल्ड मार्केटिंग समिट ग्रुप में ही, या फिर भारतीय मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अलावा ही इस पुरस्कार के नाम का कहीं भी विवरण उपलब्ध नहीं है, यहाँ तक कि इस पुरस्कार की खबर के सरकारी प्रेस रिलीज़ में भी जूरी मेंबर्स का ज़िक्र नहीं है, ना ही इस पुरस्कार को दिए जाने वाले वास्तविक संगठन का कोई सुराग।

पुरस्कार की इस खबर पर भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं पियूष गोयल सहित स्मृति ईरानी, मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरें सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, राजयवर्धन सिंह राठौर और वसुंधरा राजे ने इस पुरस्कार मिलने पर शुभकामनायें दी हैं।

वहीं इस पुरस्कार के पीछे की कहानी सामने आने के बाद ट्वीटर पर लोगों ने जमकर मज़े लिए। राहुल गाँधी ने इस पुरस्कार पर ट्वीट कर कहा कि “‘मैं अपने प्रधानमंत्री जी को कोटलर प्रेसिडेंशियल अवार्ड (Kotler Presidential Award) हासिल करने की बधाई देता हूं.’ उन्होंने तंज किया, ‘यह पुरस्कार इतना प्रसिद्ध है कि इसकी कोई ज्यूरी नहीं है, पहले किसी को दिया नहीं गया और अलीगढ़ की एक गुमनाम कंपनी द्वारा समर्थित है. इसके इवेंट साझेदार: पतंजलि और रिपब्लिक टीवी हैं।’

WMS के दिसंबर इवेंट के चलते वेब साइट में दी गयी जानकारी के अनुसार WMS ग्रुप की स्थापना 2011 में फिलिप कोटलर ने की थी। WMS ग्रुप ने खुद की ही ‘कोटलर इम्पैक्ट’ (मार्केटिंग और सेल्स पार्टनर) और अलीगढ (UP) स्थित एक कंपनी ‘सुसलेंस रिसर्च इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट प्राइवेट लिमिटेड’ जो कि 2017 को अस्तित्व में आयी थी के साथ भारत में तीन साल के लिए WMS के कामकाज का समझौता किया।

2018 में WMS की वेब साइट ने अपडेट किया कि कोटलर ने अपना नाम डिपार्टमेंट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज IIT (ISM) धनबाद को प्रयोग करने की अनुमति दी।

इसका नतीजा हुआ कि दिल्ली में 14 दिसंबर को आयोजित World Marketing Summit India, 2018 में की नोट स्पीच केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के CEO अमिताभ कान्त ने दी थी।

पहले कोटलर अवार्ड मार्केटिंग उत्कृष्टता के लिए दिया जाता था और उसके लिए नामांकन प्रक्रिया होती थी, तथा प्रतियोगियों को इसके लिए 1 लाख रूपये शुल्क देना होता था।

IIT (ISM) धनबाद के प्रोफ़ेसर डा. प्रमोद पाठक जिनका नाम WMS वेब साइट पर अवार्ड कमिटी के सुपरवाइजर के तौर पर दर्ज है के अनुसार एक अलग प्रक्रिया के तहत मोदी को ये फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल एवार्ड दिया गया है। द वायर को दिए बयान में उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार प्रक्रिया में उनका कोई रोल नहीं है, बल्कि तौसीफ जिया सिद्दीक़ी का रोल मुख्य है।

तौसीफ जिया सिद्दीक़ी खुद को अलीगढ (UP) स्थित ‘सुसलेंस रिसर्च इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक बताते हैं और फिलिप कोटलर के बहरीन और सऊदी अरब का प्रतिनिधि भी बताते हैं।

वो WMS18 के मार्केटिंग एक्सीलेंसअवार्ड्स समिति में थे, मगर उन्होंने मोदी जी को दिए गए इस प्रथम ‘फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल एवार्ड’ की प्रक्रिया के बारे में बताने से इंकार कर दिया, उन्होंने द वायर से कहा कि ” ये एक बहुत ही गोपनीय अवार्ड है।”

अब आगे चलते हैं BBC हिंदी ने उक्त ससलेन्स कंपनी की वेबसाइट देखने की कोशिश की, जो फ़िलहाल नहीं खुल रही है,  BBC के अनुसार “हमने वेबसाइट का आर्काइव पन्ना देखा और उसमें मौजूद नंबरों पर संपर्क कर जनकारी लेनी चाही तो पता चला कि जिस व्यक्ति के नंबर वहां पर है वो वहां काम नहीं करते, हमें बताया गया कि कंपनी के निदेशक डॉ तौसीफ सिद्दिकी ज़िया इस बारे में अधिक जानकारी दे सकते हैं।”

ये वही तौसीफ सिद्दिकी ज़िया हैं जिन्होंने The Wire को इस पुरस्कार के बारे में केवल इतना बताया था कि ये एक ‘ बेहद गोपनीय पुरस्कार है।”

इसी गोपनीयता को लेकर एक यूज़र @KoomarShah ने ट्वीट कर Confidential (गोपनीयता) पर चुटकी ली है।

 

इसके बाद आते हैं इंडिया टुडे की तहकीकात पर, कल India Today ने अपने एक Video में बताया है कि अलीगढ (UP) की जिस फर्म ‘सुसलेंस रिसर्च इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट प्राइवेट लिमिटेड’ का ज़िक्र है वो वहां है ही नहीं उसकी जगह निवास स्थान पाया गया है, उक्त कंपनी का कहीं कोई बोर्ड नहीं है, और वेब साइट में दिया नंबर भी काम नहीं कर रहा है, सुसलेंस की वेब साइट भी काम नहीं कर रही है।

उसके बाद इंडिया टुडे ने एक  और Video और शेयर किया है जिसमें बताया गया है कि पहले फिलिप कोटलर ने इस अवार्ड के बारे में अनभिज्ञता ज़ाहिर की थी, मगर बाद में फिलिप कोटलर ने इस अवार्ड का समर्थन किया।

इंडिया टुडे को फिलिप कोटलर ने बताया कि इस पुरस्कार को किसी जूरी ने नहीं चुना है, और साथ ही जब इंडिया टुडे ने डा. जगदीश सेठ से बात की तो उनका भी यही कहना था कि इस पुरस्कार के लिए कोई जूरी नहीं थी, यानी ये पुरस्कार केवल फिलिप कोटलर के कहने मात्र पर दिया गया है।

अब जैसा कि द वायर ने इस पुरस्कार की जन्म कुंडली निकाल कर सामने रखी है, BBC ने और इंडिया टुडे ने जांच परख की है तो उस हिसाब से ये एक ‘बहुत ही गोपनीय अवार्ड है’, गोपनीय अवार्ड ?

शायद विश्व में ये पहला गोपनीय अवार्ड होगा जो सरे आम ढोल बजाकर दिया जा रहा है। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक लोग लहालोट हुए जा रहे हैं बिना ये जाने कि ये है क्या, इसकी चयन प्रक्रिया क्या थी, नामांकन कितने थे, चयन करने के लिए जूरी के लोग कौन थे ?

खैर गोपनीय अवार्ड है इसलिए गोपनीयता क़ायम रखिये और अवार्ड समारोह की चीयर लीडर बनी गोदी मीडिया का मुजरा देखिये।

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