एक माँ जिसकी बेटी के सर में कई टाँके आये हैं और हाथ में फ्रैक्चर है, कहती हैं कि उन्हें उनकी बेटी पर गर्व है, उसके पिता कहते हैं कि उनकी बेटी एक फाइटर है।

The Telegraph की खबर के अनुसार (JNU) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष पर रविवार शाम कैंपस में नकाबपोश गुंडों ने लोहे की रॉड से हमला किया था जिससे उनके सिर पर गहरी चोट लगी थी और कई टाँके आये थे, साथ ही उनके हाथ में भी फ्रैक्चर हुआ था।

आइशी घोष की माँ से ये पूछे जाने पर कि अपनी बेटी को खून में लथपथ देखकर उन्हें कैसा लगा ? माँ शर्मिष्ठा घोष ने कहा कि “जाहिर है, मुझे उस पर बहुत गर्व हुआ था।”

अपने हमलावरों के खिलाफ कार्रवाही करने का संकल्प लेकर सोमवार को आइशी घोष जेएनयू लौटीं तो उनका सम्मान एक यौद्धा की तरह किया गया, वो रातों रात सोशल मीडिया पर छा गईं।

आइशी घोष की माँ शर्मिष्ठा घोष ने बताया कि अपनी बेटी से सोमवार देर रात ही बात हो पाई थी। आइशी ने उन्हें अपने दर्द के बारे में ज्यादा नहीं बताया। “अमी अगली कथनी बोलिनी” (मैं ज़्यादा नहीं बोल पाउंगी)। मैंने बस पूछा था कि वह कैसी थी। वह जानती थी कि हमले की खबर से हम बहुत तनाव में होंगे इसलिए वह हमारे लिए चिंतित थी।

आइश की मॉं ने जेएनयू के कुलपति के इस्तीफे की मांग की। उनका कहना है कि “वीसी को इस्तीफा देना चाहिए। सभी छात्र उनके बच्चे हैं। उस दिन जब ये हमला हुआ तो वो अपने स्टूडेंट्स की रक्षा करने के बजाय कैंपस में कहीं नहीं थे, बल्कि उन्होंने इन स्टूडेंट्स पर बाहरी हमलावरों से हमला होने दिया।”

आइशी की 83 वर्षीय नानी शांति सिन्हा ने भी विश्वविद्यालय की वर्तमान स्थिति के लिए कुलपति को जिम्मेदार ठहराया लेकिन उन्होंने कहा कि वो अपनी नवासी के लिए ज़रा भी चिंतित या डरी हुई नहीं थी। “आइशी हमेशा बहादुर रही है और मुझे यकीन है कि वह हमले के बाद अपने हक़ के लिए अपनी लड़ाई नहीं रोकेगी। बल्कि वो इस हमले से और मजबूत हो जाएगी। मैं उसका पूरा समर्थन करती हूं, और मैं उसे लेकर चिंतित या डरी हुई नहीं हूं।”

शर्मिष्ठा घोष कहती हैं कहती हैं कि “हमने JNU की प्रतिष्ठा और शैक्षणिक मानकों के कारण उसे वहां अध्ययन करने के लिए भेजा था। लेकिन वीसी की वजह से सब कुछ बर्बाद हो गया है। वह JNU की वर्तमान हालत के लिए पूरी तरह सेजिम्मेदार है।”

शांति घोष आगे कहती हैं कि “फीस वृद्धि मामले को 70 दिनों से अधिक समय हो गया है, लेकिन वीसी ने छात्रों के साथ कोई भी बातचीत शुरू नहीं की है। बल्कि जब उन्होंने 18 नवंबर को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया, तो छात्रों को पुलिस द्वारा पीटा गया। इसके बावजूद भी वीसी ने भी कुछ नहीं किया, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कुछ नहीं किया।”

दुर्गापुर में दामोदर घाटी निगम के कर्मचारी आईशी के पिता देबाशीष घोष को रविवार शाम स्थानीय पत्रकारों से अपनी बेटी पर हुए हमले के बारे में पता चला। देबाशीष ने कहा “मैं अपनी बेटी के बारे में चिंतित नहीं हूं, वह एक फाइटर हैं। उसका विरोध अपनी जगह सही है और उसका विरोध का तरीक़ा शांतिपूर्ण हैं। मेरी बहादुर बेटी को गुंडों द्वारा किये गए इस तरह के हमलों से नहीं रोका जा सकता।”

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