दुनिया में कई तरह के छोटे और बड़े क़ुरआन मौजूद हैं, लेकिन इंडोनेशिया के दक्षिण सुमात्रा प्रांत की राजधानी पालेमबांग में एक नायाब क़ुरआन मौजूद है जिसे देखने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। इस क़ुरआन को लकड़ी के कार्ड बोर्ड पर नक़्क़ाशी कर उकेरा गया है।
इस क़ुरआन को बनाया था केलीग्राफी स्टूडेंट रहे 48 वर्षीय शोफवातिल्लाह मोहज़ैब ने, उन्होंने इसे टेम्बेसू पेड़ (Fagraea Fragrans) की लकड़ी से बनाया था जो कि सबसे मज़बूत और टिकाऊ होती है, हर कार्ड बोर्ड का साइज 5.8 X 4.6 फीट के नाप का है। शोफवतिल्लाह का कहना है कि उन्हें ऐसी नायाब और बड़ी क़ुरआन बनाने का विचार वर्ष 2000 में आया था, जब उन्होंने पालेमबांग की महान मस्जिद में केलीग्राफी का अध्ययन करते हुए ऐसी कप्लना की थी।
लकड़ी पर उकेरने से पहले शोफवातिल्ला ने मुस्लिम विशेषज्ञों से अनुमोदन मांगा, फिर मंज़ूरी के बाद ट्रेसिंग पेपर के साथ आयतों की प्रतियां बनाईं उसके बाद आयतों को कार्ड बोर्ड पर उकेरा। एक साल बाद उन्होंने इसका पहला पेज बनाना शुरू किया, जिसमें सूरह अल-फातिहा शामिल थी। उनका कहना है कि नक्काशी से क़ुरान का एक पेज बनाने में एक महीने का समय लगा।
शोफवातिल्ला को पूरा क़ुरआन मुकम्मल करने में नौ साल लगे, इस बीच उन्हें लकड़ी की कमी आर्थिक परेशानियां आईं, मगर उनके इस अनूठे काम को देखते हुए उन्हें इंडोनेशिया के बड़े दान दाताओं ने खुलकर दान दिया।
पालेम्बैंग के अल इहसनियाह गुंदूस बोर्डिंग स्कूल में एक पांच मंजिला संरचना है जिसमें लकड़ी के कार्ड बोर्ड पर उकेरी गई ये विशाल कुरान है, जो शोफवातिल्लाह के अनूठे काम और उनके सपने को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय भी है।
2011 में तत्कालीन-इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुसिलो बंबांग युधोयोनो, इस्लामिक सहयोग संगठन (PUOIC) के सदस्य, राज्यों के संसदीय संघ के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ, इस विशाल लकड़ी के क़ुरआन का उद्घाटन किया था।
इस अनूठे क़ुरआन को देखने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। तुर्की, सऊदी अरब, इराक, मलेशिया, सिंगापुर, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों से और स्थानीय पर्यटकों के आने से यहाँ पर्यटन का तेज़ी से विकास भी हुआ है।
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