उत्तरप्रदेश में 27 नवंबर को अवैध धर्मांतरण पर लगाम कसने के लिए जो कथित ‘लव जिहाद’ क़ानून लागू हुआ था उसे लागू हुए आज 27 दिसंबर को पूरा महीना हो गया है, इस क़ानून के तहत अब तक 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और करीब एक दर्जन प्राथमिकी (FIRs) दर्ज की गई हैं।
शादी के लिए जबरन या धोखे से धर्मांतरण पर रोक लगाने के उद्देश्य से लागू किये गए इस क़ानून को ‘लव जिहाद’ क़ानून भी कहा जा रहा है। इस कानून के तहत किसी भी उल्लंघन के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।
Indian Express के अनुसार 27 नवंबर को ये कानून लागू हुआ था, जिसके बाद अब तक यानी एक महीने में करीब 35 मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया है और लगभग एक दर्जन प्राथमिकी FIRs भी दर्ज की गई हैं। इस क़ानून के तहत एटा से 7, सीतापुर से 7, ग्रेटर नोएडा से 4, शाहजहांपुर और आजमगढ़ से 3, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बिजनौर से 2 – 2 और कन्नौज से 4 और बरेली और हरदोई से 1-1 गिरफ्तारी हुई है। कानून लागू होने के एक दिन बाद ही पहला मामला बरेली में दर्ज किया गया था।
20 साल की लड़की के पिता और बरेली के शरीफ नगर गाँव के रहने वाले टीकाराम राठौर की शिकायत के बाद पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया। उन्होंने आरोप लगाया था कि उवैश अहमद (22) उनकी बेटी के साथ दोस्ती कर उसे धर्मांतरित करने के लिए बहला फुसला रहा था। बरेली जिले के देवरनिया पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उवैश अहमद को 3 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था।
इसी के चलते लखनऊ पुलिस ने राज्य की राजधानी में एक समारोह को रोक दिया था और दंपति को पहले कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कहा था ।
मुजफ्फरनगर जिले में नदीम और उनके एक साथी को 6 दिसंबर को एक विवाहित हिंदू महिला को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
हालांकि नदीम को तब राहत मिली जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस को उसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।
इसी तरह, मुरादाबाद में, इस महीने की शुरुआत में धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किए गए दो भाइयों को सीजेएम कोर्ट के एक आदेश पर रिहा कर दिया गया।
एक हिन्दू महिला के परिवार की शिकायत पर राशिद और सलीम को 4 दिसंबर को मुरादाबाद में रजिस्ट्रार के कार्यालय पहुँचने पर गिरफ्तार किया गया था जहाँ राशिद एक हिंदू महिला से शादी करने पहुंचे था।
शबाब खान उर्फ राहुल (38), जो शादीशुदा है, को मऊ जिले में 3 दिसंबर को और उसके 13 साथियों को गिरफ्तार किया गया जिनपर आरोप था कि उन्होंने 30 नवंबर को एक 27 वर्षीय हिन्दू महिला का शादी व धर्म परिवर्तन के इरादे से अपहरण किया था।
सीतापुर जिले के तंबौर पुलिस स्टेशन में 22 वर्षीय ज़ुब्रिल, उनके परिवार के पांच सदस्यों और दो स्थानीय लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और उनपर एक 19 वर्षीय लड़की का अपहरण करने और उसे परिवर्तित करने का आरोप लगाया गया। जुबेरिल को छोड़कर सभी को 5 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था।
बिजनौर में, 22 वर्षीय मजदूर अफजल को 13 दिसंबर को घर से एक लड़की का अपहरण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
एक 19 वर्षीय महिला ने 11 दिसंबर को हरदोई जिले के शाहाबाद पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि मोहम्मद आज़ाद द्वारा शादी के बहाने उसके साथ बलात्कार किया गया और एक धर्म परिवर्तन करने का भी दबाव डाला गया। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसे आजाद द्वारा दिल्ली में बेचने की कोशिश भी की गई।
आज़ाद को बलात्कार और यूपी निषेध धर्म परिवर्तन कानून 2020 की अवहेलना करने के लिए और मानव तस्करी के लिए 16 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था।
राशिद अली (22) और सलीम अली (25) को मुरादाबाद जिले में इस कानून के तहत इसी तरह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
‘लव जिहाद’ के लिए 16 दिसंबर को बिजनौर में एक व्यक्ति को जेल भेजा गया था, ‘लव जिहाद’ शब्द दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों और भाजपा नेताओं द्वारा गढ़ा गया है जिसमें हिन्दू युवतियों को शादी के लिए धर्मांतरण करने हेतु बरगलाने जैसे अपराध का ज़िक्र किया जाता रहा है, और जिसके खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बयान जारी किया था।
जौनपुर और देवरिया में उपचुनाव रैलियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “बहन-बेटियों के सम्मान से खिलवाड़ करने वाले नहीं सुधरे तो रामनाम सत्य की यात्रा के लिए तैयार रहें।”
इस नए कानून के बारे में बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शांतनु शर्मा ने कहा कि “हमें नए कानून से कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसके प्रवर्तन से लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए और यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका दुरुपयोग न हो।”
“एक नया कानून बनाने का मतलब यह नहीं है कि जबरन धर्मांतरणों को आसानी से जांचा जाएगा। अंतत: यह पुलिस ही होगी जो इसे लागू करेगी। यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी कि यह अपने उद्देश्य में सफल होगा या नहीं, लेकिन इसे सावधानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।”
यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंह ने कहा कि जब कोई लड़की घर से भागती है तो उसकी बरामदगी का दबाव होता है। “यह (कानून) सामाजिक संरचना के अनुसार अच्छा है और इससे लड़कियों के साथ शोषण नहीं होगा। हालांकि आधुनिक सामाजिक दृष्टिकोण के अनुसार ये क़ानून लोगों को अपनी स्वतंत्रता का हनन लग सकता है। ”
उच्च न्यायालय के वकील संदीप चौधरी ने कहा, “कानून चुनाव के मौलिक अधिकार और विश्वास के परिवर्तन के अधिकार पर आघात है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार) के तहत व्यक्तिगत स्वायत्तता, गोपनीयता, मानवीय गरिमा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।”
उन्होंने बताया कि इस कानून को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका पहले ही दायर की जा चुकी है और अब अदालत को फैसला करना है।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से एक याचिका का जवाब देने को कहा है जिसमें कहा गया है कि नया कानून चुनाव के मौलिक अधिकार और विश्वास के परिवर्तन के अधिकार के खिलाफ है।
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया और राज्य सरकार को 4 जनवरी तक एक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
शादी के लिए जबरन या धोखेबाज़ धर्मांतरण पर रोक लगाने के उद्देश्य से इस अध्यादेश को यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की सहमति के बाद ही राज्य मंत्रिमंडल ने अपने मसौदे को मंजूरी दे दी थी।
इस कानून में किसी भी उल्लंघन के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। साथ ही इस कानून के तहत यदि साबित हो जाता है कि महिला से शादी धर्मांतरण के लिए की गई तो एक ऐसी शादी को अवैध घोषित किया जाएगा।
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