फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म से नफरत फैलाने वाले भाषणों और अन्य विवादास्पद सामग्री को तुरंत हटाए, ये फैसला देते हुए यूरोपीय यूनियन की सर्वोच्च अदालत (European Court of Justice) ने फेसबुक सहित सभी सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को आदेश दिया है कि फेसबुक भी अपने प्लेटफॉर्म से नफरत फैलाने वाई सामग्री हटाए और ऐसे कार्य में लिप्त लोगों के अकाउंट बंद करे। यूरोपीय यूनियन सर्वोच्च अदालत का यह आदेश ऑट्रियन लीडर के खिलाफ लिखी गईं हेट स्पीच के चलते ऑस्ट्रिया की अदालत में चले मामले से होता हुआ यूरोपीय यूनियन की अदालत पहुंचा था।
New York Times की खबर के अनुसार ऑस्ट्रिया में ग्रींस पार्टी की नेता इवा ग्लाविचनिग पीसचेक ने फेसबुक पर अपने खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणियों को हटाने की मांग वहां की अदालत से की थी। इस टिप्पणी को हटाने से फेसबुक के इनकार के बाद इवा अदालत में गई थीं। मामले की सुनवाई के बाद ऑस्ट्रिया की हाई कोर्ट ने मामले को यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस में भेजा था।
अब यूरोपीय यूनियन की सर्वोच्च अदालत का यह फैसला पूरे यूरोप में लागू होगा। किसी यूरोपीय शख्स के खिलाफ फेसबुक पर मौजूद आपत्तिजनक सामग्री दुनिया में कहीं भी देखी-पढ़ी जा रही है तो पीड़ित व्यक्ति उसकी शिकायत यूरोपीय अदालत में कर सकता है, तब फेसबुक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इसलिए शीर्ष अदालत ने फेसबुक से आपत्तिजनक सामग्री को पूरे नेटवर्क से हटाने के लिए कहा है।
यूरोपीय यूनियन की सर्वोच्च अदालत के इस फैसले से यूरोपीय सोशल मीडिया कंपनियां बेहद खुश हैं, उनका मानना है कि फेसबुक पर यूरोपीय यूनियन के नियम लागू नहीं हो रहे थे, ऐसे में ये आदेश आने के बाद सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री शेयर करने और सम्बंधित एकाउंट्स पर नकेल कसने में सफलता मिलेगी। समर्थकों का कहना है कि मानहानि कानूनों को इंटरनेट के युग में उचित रूप से लागू नहीं किया गया है और इंटरनेट पर ट्रोल, अभद्र भाषा और सोशल मीडिया पर होने वाले अन्य व्यक्तिगत हमलों से निपटने के लिए फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों को मजबूर करने की आवश्यकता है।
वहीँ फेसबुक ने अदालत के फैसले की निंदा करते हुए कहा है कि एक देश दूसरे देश के व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगा सकता।
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