NCB मुंबई के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे और उनकी पत्नी ने सोशल मीडिया जायंट ट्विटर, फेसबुक और गूगल के खिलाफ डिंडोशी में एक सत्र न्यायालय के समक्ष दीवानी का मुकदमा दायर किया था, जिसमें उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक सामग्री प्रदर्शित करने या प्रकाशित करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई शनिवार 17 दिसंबर को सुनवाई हुई।

Live Law के अनुसार इस सुनवाई में ट्विटर ने NCB के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े और उनकी पत्नी क्रांति रेडकर (वादी) द्वारा शुरू की गई दीवानी कार्यवाही को खारिज करने की मांग की है, जिसमें सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ झूठी और दुर्भावनापूर्ण खबरें/बयान देने से स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई थी।

दीवानी वाद में प्रस्ताव के नोटिस के 22 पन्नों के जवाब में ट्विटर ने जवाब दिया है कि वानखेड़े युगल द्वारा आवेदन झूठा और तुच्छ है और इसलिए संक्षेप में इसे खारिज करने की वजह है।

जहां तक ​​अर्जी में की गई मांग का सवाल था, ट्विटर ने कहा कि उन्हें उस तरीके से अनुमति नहीं दी जा सकती जिस तरह से वादी ने मांग की है।

दीवानी वाद के जवाब में ट्विटर ने निम्नलिखित आपत्तियां पेश कीं :

1. वादी न्यायालय के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र को दिखाने में विफल रहे हैं।
2. कोई घोषणात्मक राहत नहीं मांगी गई है।
3. मध्यस्थ अपने मंच पर होस्ट की गई सामग्री के लिए उत्तरदायी नहीं है।
4. परिवाद विचारणीय नहीं है।
5. मांगी गई राहत “एक मध्यस्थ पर न्यायिक कार्य करने का दोष” से ग्रस्त है क्योंकि एक मध्यस्थ यह निर्धारित नहीं कर सकता है कि कौन सी सामग्री दुर्भावनापूर्ण या मानहानिकारक है, इसे केवल एक न्यायिक प्राधिकरण ही तय कर सकता है।
6. हैशटैग को सामूहिक रूप से हटाया नहीं जा सकता क्योंकि उनका उपयोग प्रासंगिक रूप से किया जा सकता है। इसके अलावा, जब तक न्यायालय यह नहीं पाता कि ट्वीट मानहानिकारक हैं, तब तक किसी खाते को पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वादी खाताधारक को झूठ का पक्षकार बनाने में विफल रहे हैं।

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