ये फोटो सोशल मीडिया पर कई बार शेयर किया जा चुका है, विशेषकर दिवाली के आसपास सोशल मीडिया यूज़र्स इस शेयर करते देखे जाते हैं, इस बार भी ये फोटो कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, लोग इस फोटो को दिवाली से जोड़कर शेयर कर रहे हैं, दरअसल यूज़र्स को पता ही नहीं कि ये फोटो है कहाँ का, अधिकांश लोग इसे भारत की ही किसी जगह का बताते आये हैं।

यहाँ तक कि पिछले साल दैनिक भास्कर ने भी इस फोटो को लेकर समाचार प्रकाशित किया था, और एक फेसबुक यूज़र के हवाले से इस इंदौर का बताते हुए दिवाली पर ग्राहकों का इंतज़ार करते हुए अपने सामान के साथ ही सड़क पर सो गए इस परिवार के बारे में बताया था।

दरअसल ये फोटो भारत का है ही नहीं, ये फोटो है पाकिस्तान के लाहौर के माल रोड इलाक़े का, जिसे एक पाकिस्तानी पत्रकार एहतिशाम उल हक़ ने 6 नवम्बर 2018 को टवीट करते हुए लिखा था कि “लाहौर के माल रोड पर मुफलिसी की चादर ओढ़ कर सोने वाला एक बेबस खानदान।” जब ये फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पाकिस्तान के लोग इस परिवार की मदद को आगे आये।

इस मार्मिक फोटो के सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल होने के बाद विदेशी मीडिया ने भी इसमें रूचि ली थी, Gulf News ने इस पर एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि सोशल मीडिया पर इस फोटो के हज़ारों शेयर हुए और लोगों का ध्यान इस परिवार की ओर गया, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने खुद इस फोटो को टवीट करते हुए लिखा था कि “आज मैंने बेघरों के लिए 5 शेल्टर होम के लिए लाहौर में 1 और पिंडी में 1 शेल्टर होम की नींव रखी हैं। हम अपने गरीब नागरिकों के लिए हर किसी के सिर पर छत, सुलभ स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

इसी फोटो ने एक और आदमी का ध्यान खींचा जिनका नाम उमैर हुसैन था, वो इस परिवार से पहले भी मिल चुके थे और उनकी मदद करते हुए पिता से कहा था कि वो अपने साथ बच्चों को यहाँ न लाये और रात में यहाँ बच्चों को लेकर न सोये, पिता ने फिर से ऐसा न करने का वादा कर लिया था, मगर सप्ताह भर बाद जब उमैर हुसैन ने उस परिवार को फिर उसी जगह पर सोते देखा तो उसके पिता को समझाया और उस परिवार को अपने साथ माल में ले जाकर उनको खाना खिलाया और कपडे आदि दिलाये, इसके फोटो भी उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर किये थे।

उमैर हुसैन ने फेसबुक पर लाइव आकर लोगों से गुज़ारिश की थी कि इस परिवार की जितनी भी जिस तरह से भी हो मदद की जाए, साथ ही उन्होंने बाल कल्याण विभाग से भी संपर्क किया ताकि उन दोनों बच्चों को स्कूल में दाखिला मिल सके और वो बाल कल्याण विभाग के हॉस्टल में रह भी सकें। उनका कहना था कि बच्चे कल के नागरिक होते हैं, उनका भविष्य इस तरह सड़कों पर ख़राब नहीं होना चाहिए।

गल्फ न्यूज़ की उस रिपोर्ट के बाद उस परिवार का क्या हाल है ये तो पता नहीं मगर जिस तरह से उस गरीब परिवार की मदद के लिए जिस तरह से पाकिस्तान के लोग उठ खड़े हुए थे, उम्मीद तो यही है कि अब परिवार उस दुखद हालत में तो नहीं होगा।

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