सिर्फ एक तस्वीर कैसे हालात बदल सकती है, ये सीरिया केअब्दुल हलीम अत्तार से पूछिए। हलीम की ये तस्वीर तब ली गई जब वो बेरूत की सड़कों पर पेन बेच रहे थे और उनकी 4 साल की बच्ची रीम उनके कंधे पर सिर रखकर सो रही थी। ये तस्वीर ओस्लो (नॉर्वे) के एक सामाजिक कार्यकर्ता सिमूर सिमरसन ने ट्वीट की थी।
तस्वीर को ट्वीट करते ही सिमूर के पास लोगों की ओर से हलीम के लिए मदद की पेशकश आने लगी। लोग उनसे पूछने लगे कि कैसे मदद की जा सकती है। सिमूर को ये भी नहीं पता था कि ये तस्वीर किसने खींची थी। इसके बाद सिमूर ने #buypens के नाम से हैशटेग बनाया और बेरूत के ट्वीटर यूजर्स से हलीम को ढूंढने में मदद करने की गुज़ारिश की।
बता दें कि इन दिनों हलीम जैसे हज़ारो लोग सीरिया से भागकर बेरूत आ गए हैं।
सीरिया इन दिनों गृह युद्ध की मार झेल रहा है।
सिमूर को हलीम को ढूंढने में दो दिन लगे, हलीम अकेले अभिभावक के तौर अपनी दो बेटियों के साथ रह रहे हैं।
सिमूर ने हलीम को ढूंढने के बाद ट्वीट किया- ‘बहुत मेहनत लगी लेकिन ये बहुत सार्थक रही, अब हमें उनकी मदद करनी चाहिए।’
सिमूर ने क्राउड फंडिंग कैम्पेन के लिए ट्विटर अकाउंट बनाया। उनका मकसद हलीम के लिए 15 दिन में 5000 डॉलर एकत्र करना था। ये लक्ष्य 30 मिनट में ही पूरा हो गया।
अगस्त 2016 में जब तक ये ख़बर लिखी जा रही थी इस अकाउंट में करीब 24 घंटे में 1,08,551 डॉलर की रकम आ चुकी थी।
जब हलीम को इस रकम के बारे में बताया गया तो वो सुनकर फूट फूट कर रो पड़े। वो हर किसी का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे थे।
हलीम ने कहा कि वो अन्य सीरियाई लोगों की भी मदद करना चाहते है।
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