अफ्रीका महाद्वीप के सबसे छोटे देश गांबिया ने म्यांमार पर Genocide Convention यानी जनसंहार संधिपत्र के प्रावधानों के तहत संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) में मुकदमा दर्ज कराया है, रोहिंग्या मुसलमानों के क़त्ले आम के आरोप का सामना कर रहे म्यांमार का पक्ष रखने के लिए देश की नेता आंग सान सू की एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं जो उनके साथ साथ संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय अदालत में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार पर अपने देश का पक्ष रखेंगी।
Rohingya Post के अनुसार म्यांमार सरकार ने घोषणा की है कि रखाइन मुद्दे के संबंध में में ICJ में देश के राष्ट्रीय हित की रक्षा के लिए आंग सान सू की म्यांमार की कानूनी टीम का नेतृत्व नीदरलैंड्स के हेग में करेंगी।
वहीँ दूसरी ओर इस बात पर हंगामा खड़ा हो गया है कि म्यांमार में इजरायल के राजदूत रोनेन गिलोर ने हाल ही में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार के लिए नीदरलैंड (ICJ) में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में म्यांमार के खिलाफ आयोजित मुकदमे में म्यांमार सरकार के लिए सार्वजनिक समर्थन व्यक्त किया है।
म्यांमार सरकार और आंग सांग सू की के समर्थन में वहां तैनात इजरायल के राजदूत रोनेन गिलोर ने टवीट कर शुभकामनायें दी थीं।

इजरायल के राजदूत रोनेन गिलोर ने म्यांमार के अधिकारियों के साथ उनकी तस्वीर भी टवीट की और कहा कि अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) में “म्यांमार के लिए शुभकामनाएं।”

बाद में इजरायल के राजदूत रोनेन गिलोर ने अपने दोनों टवीट्स डिलीट कर दिए हैं, उधर इज़राइली विदेश मंत्रालय ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
संयुक्त राष्ट्र के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार गांबिया ने म्यांमार पर आरोप लगाया है कि लगभग अक्तूबर 2016 के बाद से ही म्यांमार की सेना (Tatmadaw) और देश के अन्य सुरक्षा बलों ने रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ Ethnic Cleansing ‘रक्त शुद्धि सफाई अभियान’ चलाया जिसके लिए म्यांमार ने खुद भी यही शब्द प्रयोग किया है।
म्यांमार में सरकार समर्थित रोहिंग्या मुसलमानों के रक्त शुद्धि सफाये के पहले ही अभियान में सन 2017 में 6,700 रोहिंग्या मुसलमानों का क़त्ल कर दिया गया था। अनुमान के अनुसार इस रक्त शुद्धि अभियान में लगभग एक लाख रोहिंग्या मुसलमान क़त्ल कर दिए गए हैं। इस नरसंहार के बाद लगभग 7 लाख रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से पलायन कर पडोसी देशों बांगला देश और भारत भाग कर आये थे।
ये वही आंग सांग सू की है जिसे शांति का नोबल पुरस्कार मिला था, और म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न पर 3.86 लाख लोगों ने एक ऑनलाइन याचिका के जरिए मांग की थी कि आंग सान सू की से नोबेल शांति पुरस्कार वापस लिया जाए।
यही कारण रहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के नर संहार पर उनके द्वारा उचित कदम नहीं उठाने पर लंदन स्थित वैश्विक मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आंग सांग सू की को दिया गया ‘एंबेसडर ऑफ कॉनशंस अवार्ड’ वापस ले लिया था।

वहीँ म्यांमार में आंग सान सू की के समर्थन में सड़कों पर उनके समर्थन में ‘We Stand With You. लिखे बड़े बड़े बैनर्स लगे देखे जा सकते हैं।

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